अक्टूबर महीने का आगामी त्यौहार जाने कब-कब है ?

अक्टूबर महीने का आगामी त्यौहार जाने कब-कब है ?

इस बार अक्टूबर में बहुत सारे महत्वपूर्ण त्यौहार है। जो अपने आप में बहुत खास है। जिनका भारतीय संस्कृति से बहुत गहरा सम्बन्ध है। भारतीय हर त्यौहार युही नहीं बनाया गया। उसके पीछे की गहराइयाँ बहुत है। भारत में मनाये जानें वाले प्रमुख त्यौहार पौराणिक कहानियों, उत्सवों और लोक कलाओं से जुड़े हुए होते हैं | भारत में हर दिन किसी न किसी राज्य में कोई ना कोई त्योहार मनाया जाता है, जो भारत को एक नई पहचान दिलानें के साथ ही विशेष बनाते है | सबसे खास बात यह है, कि इस त्योहारों का प्रभाव और महत्व इतना अधिक है कि विदेश में रहनें वाले भारतीय भी इन्हें बहुत ही उत्साह और जूनून से मानते है | october month festival List

1:- गोवत्स द्वादशी (21 अक्टूबर 2022):-

गोवत्स द्वादशी शुक्रवार, अक्टूबर 21, 2022 को

प्रदोषकाल गोवत्स द्वादशी मुहूर्त – 05:46 पी एम से 08:18 पी एम

अवधि – 02 घण्टे 32 मिनट्स

द्वादशी तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 21, 2022 को 05:22 पी एम बजे

द्वादशी तिथि समाप्त – अक्टूबर 22, 2022 को 06:02 पी एम बजे

भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को बछ बारस का पर्व मनाया जाता है। इस अवसर पर गाय और बछड़े की पूजा की जाती है। भाद्रपद मास में पड़ने वाले इस उत्सव को ‘वत्स द्वादशी’ या ‘बछ बारस’ के नाम से भी जाना जाता हैं। ऐसा माना जाता है वर्ष में कि दूसरी बार यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में भी मनाया जाता है।

भारतीय धार्मिक पुराणों में गौमाता में समस्त तीर्थ होने की बात कहीं गई है। पूज्यनीय गौमाता हमारी ऐसी मां है जिसकी बराबरी न कोई देवी-देवता कर सकता है और न कोई तीर्थ।

2. रमा एकादशी व्रत (21 अक्टूबर 2022):-

रमा एकादशी शुक्रवार, अक्टूबर 21, 2022 को

22वाँ अक्टूबर को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय – 06:26 ए एम से 08:42 ए एम

पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – 06:02 पी एम

एकादशी तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 20, 2022 को 04:04 पी एम बजे

एकादशी तिथि समाप्त – अक्टूबर 21, 2022 को 05:22 पी एम बजे

एकादशी के व्रत को समाप्त करने को पारण कहते हैं। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक है। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है। द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने के समान होता है।

कभी कभी एकादशी व्रत लगातार दो दिनों के लिए हो जाता है। जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब स्मार्त-परिवारजनों को पहले दिन एकादशी व्रत करना चाहिए। दुसरे दिन वाली एकादशी को दूजी एकादशी कहते हैं। सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं को दूजी एकादशी के दिन व्रत करना चाहिए। जब-जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब-तब दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी एक ही दिन होती हैं।

भगवान विष्णु का प्यार और स्नेह के इच्छुक परम भक्तों को दोनों दिन एकादशी व्रत करने की सलाह दी जाती है।

3. शनि प्रदोष व्रत (22 अक्टूबर 2022):-

दक्षिण भारत में प्रदोष व्रत को प्रदोषम के नाम से जाना जाता है और इस व्रत को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

प्रदोष व्रत चन्द्र मास की दोनों त्रयोदशी के दिन किया जाता है जिसमे से एक शुक्ल पक्ष के समय और दूसरा कृष्ण पक्ष के समय होता है। कुछ लोग शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के प्रदोष के बीच फर्क बताते हैं।

प्रदोष का दिन जब सोमवार को आता है तो उसे सोम प्रदोष कहते हैं, मंगलवार को आने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष कहते हैं और जो प्रदोष शनिवार के दिन आता है उसे शनि प्रदोष कहते हैं।

4. धनत्रयोदशी(धनतेरस)- 22 अक्टूबर 2022

धनतेरस पूजा शनिवार, अक्टूबर 22, 2022 पर

धनतेरस पूजा मुहूर्त – 07:01 पी एम से 08:17 पी एम

अवधि – 01 घण्टा 16 मिनट्स

यम दीपम शनिवार, अक्टूबर 22, 2022 को

त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 22, 2022 को 06:02 पी एम बजे

त्रयोदशी तिथि समाप्त – अक्टूबर 23, 2022 को 06:03 पी एम बजे

धनत्रयोदशी या धनतेरस के दौरान लक्ष्मी पूजा को प्रदोष काल के दौरान किया जाना चाहिए जो कि सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होता है और लगभग २ घण्टे २४ मिनट तक रहता है। धनतेरस पूजा को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। धनतेरस का दिन धन्वन्तरि त्रयोदशी या धन्वन्तरि जयन्ती, जो कि आयुर्वेद के देवता का जन्म दिवस है, के रूप में भी मनाया जाता है।

इसी दिन परिवार के किसी भी सदस्य की असामयिक मृत्यु से बचने के लिए मृत्यु के देवता यमराज के लिए घर के बाहर दीपक जलाया जाता है जिसे यम दीपम के नाम से जाना जाता है और इस धार्मिक संस्कार को त्रयोदशी तिथि के दिन किया जाता है।

5. यम दीपम(22 अक्टूबर 2022):-

यम दीपम शनिवार, अक्टूबर 22, 2022 को

यम दीपम सायान्ह सन्ध्या – 06:02 पी एम से 07:01 पी एम

अवधि – 00 घण्टे 59 मिनट्स

धनत्रयोदशी शनिवार, अक्टूबर 22, 2022 को

त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 22, 2022 को 06:02 पी एम बजे

त्रयोदशी तिथि समाप्त – अक्टूबर 23, 2022 को 06:03 पी एम बजे

परिवार के सदस्यों की सुरक्षा के लिए दीवाली के दौरान त्रयोदशी तिथि को एक दीपक मृत्यु के देवता यमराज के लिए घर के बाहर जलाया जाता है। इस अनुष्ठान को यमराज के लिए दीपदान या यम दीपम के रूप में जाना जाता है।

दीपक को सन्ध्याकाल में जलाया जाता है। ऐसी अवधारणा है कि दीपदान से यमदेव प्रसन्न होते है और परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु से सुरक्षा करते है।

4. काली चौदस(23 अक्टूबर 2022):-

काली चौदस रविवार, अक्टूबर 23, 2022 को

काली चौदस मुहूर्त – 11:40 पी एम से 12:31 ए एम, अक्टूबर 24

अवधि – 00 घण्टे 51 मिनट्स

हनुमान पूजा रविवार, अक्टूबर 23, 2022 को

चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 23, 2022 को 06:03 पी एम बजे

चतुर्दशी तिथि समाप्त – अक्टूबर 24, 2022 को 05:27 पी एम बजे

काली चौदस का त्योहार दिवाली से ठीक एक दिन पहले कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन नरक चौदस का पर्व भी होता है, मगर काली माता के भक्त इस दिन मां की विशेष उपासना करते हैं।

ऐसा कहते हैं कि काली चौदस का पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस वर्ष यह पर्व 23 अक्टूबर के दिन मनाया जाएगा।

5. हनुमान पूजा(23 अक्टूबर 2022):-

दीपावली हनुमान पूजा रविवार, अक्टूबर 23, 2022 को

दीपावली हनुमान पूजा मूहूर्त – 11:40 पी एम से 12:31 ए एम, अक्टूबर 24

अवधि – 00 घण्टे 51 मिनट्स

काली चौदस रविवार, अक्टूबर 23, 2022 को

चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 23, 2022 को 06:03 पी एम बजे

चतुर्दशी तिथि समाप्त – अक्टूबर 24, 2022 को 05:27 पी एम बजे

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, रावण को हराने और अपने चौदह वर्ष के वनवास को पूरा करने के बाद भगवान राम की अयोध्या वापसी को चिह्नित करने के लिए दिवाली मनाई जाती है। हनुमान की भक्ति और समर्पण ने श्री राम को इतना प्रसन्न किया कि उन्होंने हनुमान को उनके सामने पूजा करने का आशीर्वाद दिया। इसलिए लोग दिवाली समारोह से एक दिन पहले भगवान हनुमान की पूजा करते हैं।

6. नरक चतुर्दशी(24 अक्टूबर 2022):-

वैसे नरक चतुर्दशी और छोटी दिवाली बड़ी दिवाली से एक दिन पहले होता है। लेकिन इस बार छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली एक ही दिन है।

नरक चतुर्दशी सोमवार, अक्टूबर 24, 2022 को

अभ्यंग स्नान मुहूर्त – 05:06 ए एम से 06:27 ए एम

अवधि – 01 घण्टा 22 मिनट्स

नरक चतुर्दशी के दिन चन्द्रोदय का समय – 05:06 ए एम

चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 23, 2022 को 06:03 पी एम बजे

चतुर्दशी तिथि समाप्त – अक्टूबर 24, 2022 को 05:27 पी एम बजे

चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान, जिसे नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है, सबसे महत्वपूर्ण है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस दिन अभ्यंग स्नान करते हैं, वे नरक में जाने से बच सकते हैं। अभ्यंग स्नान के दौरान उबटन के लिए तिल (यानी तिल) के तेल का प्रयोग करना चाहिए।

नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली, रूप चतुर्दशी और रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है।

7. लक्ष्मी पूजा (दीवाली)-24 अक्टूबर 2022:-

लक्ष्मी पूजा सोमवार, अक्टूबर 24, 2022 पर

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – 06:53 पी एम से 08:16 पी एम

अवधि – 01 घण्टा 23 मिनट्स

अमावस्या तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 24, 2022 को 05:27 पी एम बजे

अमावस्या तिथि समाप्त – अक्टूबर 25, 2022 को 04:18 पी एम बजे

लक्ष्मी पूजा व्रत और अनुष्ठान

दीवाली के दिन प्रातः जल्दी उठकर अपने परिवार के पूर्वजों व कुल के देवी-देवताओं का पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। अमावस्या होने के कारण इस दिन पूर्वजों के निमित्त श्राध्द पूजन भी किया जाता है। पारम्परिक रूप से इस दिन उपवास रखा जाता है। माता लक्ष्मी के अनुयायी पूरे दिन का उपवास रखते हैं व शाम को लक्ष्मी पूजा के बाद ही अन्न ग्रहण करते हैं।

लक्ष्मी पूजा व्रत और अनुष्ठान

दीवाली या लक्ष्मी पूजा के दिन, हिन्दु अपने घरों और दुकानों को गेंदे के फूल की लड़ियों व अशोक, आम तथा केले के पत्तों से सजाते हैं। इस दिन कलश में नारियल स्थापित कर, उसे घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर रखने को शुभ माना जाता है।

लक्ष्मी पूजा के लिए, एक पर्याप्त ऊंचाई वाले आसन के दाहिनी ओर लाल कपड़ा बिछाकर, उस पर श्री गणेश व देवी लक्ष्मी की सुन्दर रेशमी वस्त्रों व आभूषणों से सुसज्जित मूर्तियों को स्थापित किया जाता है। आसन के बायीं ओर एक सफ़ेद कपड़ा बिछाकर, उस पर नवग्रह स्थापित किये जाते हैं।

8. सूर्य ग्रहण (25 अक्टूबर 2022):-

नई दिल्ली में आंशिक/खण्डग्रास सूर्य ग्रह

ग्रहण प्रारम्भ काल – 04:28 पी एम

परमग्रास – 05:30 पी एम

सूर्यास्त के साथ ग्रहण समाप्त होगा

खण्डग्रास की अवधि – 01 घण्टा 13 मिनट्स 30 सेकण्ड्स

सूतक प्रारम्भ – 03:17 ए एम

सूतक समाप्त – 05:42 पी एम

बच्चों, बृद्धों और अस्वस्थ लोगों के लिये सूतक प्रारम्भ – 12:05 पी एम

बच्चों, बृद्धों और अस्वस्थ लोगों के लिये सूतक समाप्त – 05:42 पी एम

9. गोवर्धन पूजा (26 अक्टूबर 2022):-

गोवर्धन पूजा बुधवार, अक्टूबर 26, 2022 को

गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त – 06:29 ए एम से 08:43 ए एम

अवधि – 02 घण्टे 14 मिनट्स

द्यूत क्रीड़ा बुधवार, अक्टूबर 26, 2022 को

प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 25, 2022 को 04:18 पी एम बजे

प्रतिपदा तिथि समाप्त – अक्टूबर 26, 2022 को 02:42 पी एम बजे

अधिकतर गोवर्धन पूजा का दिन दीवाली पूजा के अगले दिन पड़ता है और इस दिन को भगवान कृष्ण द्वारा इन्द्र देवता को पराजित किये जाने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। कभी-कभी दीवाली और गोवर्धन पूजा के बीच एक दिन का अन्तराल हो सकता है।

धार्मिक ग्रन्थों में कार्तिक माह की प्रतिपदा तिथि के दौरान गोवर्धन पूजा उत्सव को मनाने का बताया गया है। हिन्दु कैलेण्डर में गोवर्धन पूजा का दिन अमावस्या तिथि के एक दिन पहले भी पड़ सकता है और यह प्रतिपदा तिथि के प्रारम्भ होने के समय पर निर्भर करता है।

गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। इस दिन गेहूँ, चावल जैसे अनाज, बेसन से बनी कढ़ी और पत्ते वाली सब्जियों से बने भोजन को पकाया जाता है और भगवान कृष्ण को अर्पित किया जाता है।

10. बलि पूजा(26 अक्टूबर 2022):-

बलि प्रतिपदा बुधवार, अक्टूबर 26, 2022 को

बलि पूजा प्रातःकाल मुहूर्त – 06:29 ए एम से 08:43 ए एम

अवधि – 02 घण्टे 14 मिनट्स

गोवर्धन पूजा बुधवार, अक्टूबर 26, 2022 को

प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 25, 2022 को 04:18 पी एम बजे

प्रतिपदा तिथि समाप्त – अक्टूबर 26, 2022 को 02:42 पी एम बजे

बलि पूजा को बलि प्रतिपदा के नाम से भी जाना जाता है और यह पूजा कार्तिक प्रतिपदा के दिन की जाती है जो कि दीवाली पूजा के अगले दिन होती है। बलि पूजा और गोवर्धन पूजा एक ही दिन आते हैं। जहाँ गोवर्धन पूजा गिरिराज पर्वत और भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है, तो वहीं बलि पूजा दानवों के राजा बलि का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये की जाती है।

11. भाई दूज(26 अक्टूबर 2022):-

भाई दूज बुधवार, अक्टूबर 26, 2022 को

भाई दूज अपराह्न समय – 01:12 पी एम से 03:27 पी एम

अवधि – 02 घण्टे 14 मिनट्स

द्वितीया तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 26, 2022 को 02:42 पी एम बजे

द्वितीया तिथि समाप्त – अक्टूबर 27, 2022 को 12:45 पी एम बजे

12. छठ पूजा(30 अक्टूबर 2022):-

छठ पूजा रविवार, अक्टूबर 30, 2022 को

सूर्योदय समय छठ पूजा के दिन – 06:31 ए एम

सूर्यास्त समय छठ पूजा के दिन – 05:38 पी एम

षष्ठी तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 30, 2022 को 05:49 ए एम बजे

षष्ठी तिथि समाप्त – अक्टूबर 31, 2022 को 03:27 ए एम बजे

दिवाली के ठीक छह दिन बाद मनाए जाने वाले छठ महापर्व का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य षष्ठी का व्रत करने का विधान है । अथर्ववेद में भी इस पर्व का उल्लेख है। यह ऐसा पूजा विधान है जिसे वैज्ञानिक दृष्टि से भी लाभकारी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से की गई इस पूजा से मानव की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इसे करने वाली स्त्रियाँ धन-धान्य, पति-पुत्र तथा सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहती हैं।

छठ पूजा के इतिहास की ओर दृष्टि डालें तो इसका प्रारंभ महाभारत काल में कुंती द्वारा सूर्य की आराधना व पुत्र कर्ण के जन्म के समय से माना जाता है। मान्यता है कि छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए जीवन के महत्वपूर्ण अवयवों में सूर्य व जल की महत्ता को मानते हुए, इन्हें साक्षी मान कर भगवान सूर्य की आराधना तथा उनका धन्यवाद करते हुए मां गंगा-यमुना या किसी भी पवित्र नदी या पोखर ( तालाब ) के किनारे यह पूजा की जाती है। प्राचीन काल में इसे बिहार और उत्तर प्रदेश में ही मनाया जाता था। लेकिन आज इस प्रान्त के लोग विश्व में जहाँ भी रहते हैं वहाँ इस पर्व को उसी श्रद्धा और भक्ति से मनाते हैं।

धन्यवाद

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