श्री राधा कृपा कटाक्ष स्रोत(radha kripa kataksh)

श्री राधा कृपा कटाक्ष स्रोत(radha kripa kataksh)

श्री राधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र (radha kripa kataksh stotra) का गायन वृन्दावन के विभिन्न मन्दिरों में नित्य किया जाता है। अगर आपको संस्कृत नहीं आती तो आप हिंदी में(radha kripa kataksh in hindi) नीचे दिए गए भाव पढ़ सकते है। आपको उतना ही फल मिलेगा। 10 min का टाइम निकल कर जरूर पढ़े। इस स्तोत्र के पाठ (radha stuti) से साधक नित्यनिकुंजेश्वरि श्रीराधा और उनके प्राणवल्लभ नित्यनिकुंजेश्वर ब्रजेन्द्रनन्दन श्रीकृष्ण की सुर-मुनि दुर्लभ कृपाप्रसाद अनायास ही प्राप्त कर लेता है। #radha kripa kataksh lyrics, राधा कृष्ण स्तुति radha kripa kataksh lyrics

श्री राधे बोल कर अब राधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र पढ़ना शुरू करे।

“राधा साध्यम साधनं यस्य राधा, मंत्रो राधा मन्त्र
दात्री च राधाl
सर्वं राधा जीवनम् यस्य राधा, राधा राधा वाचि
किम तस्य शेषम ll”

“भावार्थ”: “राधा” साध्य है उनको पाने का साधन भी राधा नाम ही है। मन्त्र भी राधा है और मन्त्र देने वाली गुरु भी स्वयं राधा जी ही है सब कुछ राधा नाम में ही समाया हुआ है और सबका जीवन प्राण भी राधा ही है राधा नाम के अतिरिक्त ब्रम्हांड में शेष बचता क्या है?

radha

श्री राधा कृपा(radha kripa kataksh) प्रारंभ:-

मुनींद्र वृन्द वन्दिते त्रिलोक शोक हारिणी,
प्रसन्न वक्त्र पंकजे निकुंज भू विलासिनी ।
ब्रजेन्द्र भानु नन्दिनी व्रजेन्द सूनु संगते,
कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम् ॥ (१)

भावार्थ : समस्त मुनिगण आपके चरणों की वंदना करते हैं, आप तीनों लोकों का शोक दूर करने वाली हैं, आप प्रसन्नचित्त प्रफुल्लित मुख कमल वाली हैं, आप धरा पर निकुंज में विलास करने वाली हैं। आप राजा वृषभानु की राजकुमारी हैं, आप ब्रजराज नन्द किशोर श्री कृष्ण की चिरसंगिनी है, हे जगज्जननी श्रीराधे माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ? (1)

अशोकवृक्ष वल्लरी वितान मण्डप स्थिते,
प्रवाल ज्वाल पल्लव प्रभा रुणांघ्रि कोमले।
वराभय स्फुरत्करे प्रभूत सम्पदालये,
कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥ (२)

भावार्थ : आप अशोक की वृक्ष-लताओं से बने हुए मंदिर में विराजमान हैं, आप सूर्य की प्रचंड अग्नि की लाल ज्वालाओं के समान कोमल चरणों वाली हैं, आप भक्तों को अभीष्ट वरदान, अभय दान देने के लिए सदैव उत्सुक रहने वाली हैं। आप के हाथ सुन्दर कमल के समान हैं, आप अपार ऐश्वर्य की भंङार स्वामिनी हैं, हे सर्वेश्वरी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ? (2)

अनंग रंग मंगल प्रसंग भंगुर भ्रुवां,
सुविभ्रमं ससम्भ्रमं दृगन्त बाण पातनैः ।
निरन्तरं वशीकृत प्रतीत नन्दनन्दने,
कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥ (३)

भावार्थ : रास क्रीड़ा के रंगमंच पर मंगलमय प्रसंग में आप अपनी बाँकी भृकुटी से आश्चर्य उत्पन्न करते हुए सहज कटाक्ष रूपी वाणों की वर्षा करती रहती हैं। आप श्री नन्दकिशोर को निरंतर अपने बस में किये रहती हैं, हे जगज्जननी वृन्दावनेश्वरी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ? (3)

तड़ितसुवर्ण चम्पक प्रदीप्तगौर विग्रहे,
मुख प्रभा परास्त-कोटिशारदेन्दु मण्डले ।
विचित्रचित्र संचरच्चकोर शावलोचने,
कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥ (४)

भावार्थ : आप बिजली के सदृश, स्वर्ण तथा चम्पा के पुष्प के समान सुनहरी आभा वाली हैं, आप दीपक के समान गोरे अंगों वाली हैं, आप अपने मुखारविंद की चाँदनी से शरद पूर्णिमा के करोड़ों चन्द्रमा को लजाने वाली हैं। आपके नेत्र पल-पल में विचित्र चित्रों की छटा दिखाने वाले चंचल चकोर शिशु के समान हैं, हे वृन्दावनेश्वरी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ? (४)

मदोन्मदाति यौवने प्रमोद मान मण्डिते,
प्रियानुराग रंजिते कलाविलास पण्डिते ।
अनन्य धन्य कुंजराज कामकेलि कोविदे,
कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥ (५)

भावार्थ : आप अपने चिर-यौवन के आनन्द के मग्न रहने वाली है, आनंद से पूरित मन ही आपका सर्वोत्तम आभूषण है, आप अपने प्रियतम के अनुराग में रंगी हुई विलासपूर्ण कला पारंगत हैं। आप अपने अनन्य भक्त गोपिकाओं से धन्य हुए निकुंज-राज के प्रेम क्रीड़ा की विधा में भी प्रवीण हैं, हे निकुँजेश्वरी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ? (५)

अशेष हावभाव धीर हीरहार भूषिते,
प्रभूत शात कुम्भ कुम्भ कुंभिकुम्भ सुस्तनी ।
प्रशस्त मंदहास्य चूर्ण पूर्ण सौक्ष सागरे,
कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥ (६)

भावार्थ : आप संपूर्ण हाव-भाव रूपी श्रृंगारों से परिपूर्ण हैं, आप धीरज रूपी हीरों के हारों से विभूषित हैं, आप शुद्ध स्वर्ण के कलशों के समान अंगो वाली है, आपके पयोंधर स्वर्ण कलशों के समान मनोहर हैं। आपकी मंद-मंद मधुर मुस्कान सागर के समान आनन्द प्रदान करने वाली है, हे कृष्णप्रिया माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ? (6)

मृणाल बाल वल्लरी तरंग रंग दोर्लते,
लताग्रलास्य लोलनील लोचनावलोकने ।
लल्लूलण मिलन मनोज्ञ मुग्ध मोहनाश्रये,
कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥ (७)

भावार्थ : जल की लहरों से कम्पित हुए नूतन कमल-नाल के समान आपकी सुकोमल भुजाएँ हैं, आपके नीले चंचल नेत्र पवन के झोंकों से नाचते हुए लता के अग्र-भाग के समान अवलोकन करने वाले हैं। सभी के मन को ललचाने वाले, लुभाने वाले मोहन भी आप पर मुग्ध होकर आपके मिलन के लिये आतुर रहते हैं ऎसे मनमोहन को आप आश्रय देने वाली हैं, हे वृषभानुनन्दनी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ? (7)

सुवर्ण मालिकांचिते त्रिरेखकम्बु कण्ठगे,
त्रिसूत्र मंगलीगुण त्रिरत्नदीप्ति दीधिति ।
सलोल नील कुन्तले प्रसून गुच्छ गुम्फिते,
कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥ (८)

भावार्थ : आप स्वर्ण की मालाओं से विभूषित है, आप तीन रेखाओं युक्त शंख के समान सुन्दर कण्ठ वाली हैं, आपने अपने कण्ठ में प्रकृति के तीनों गुणों का मंगलसूत्र धारण किया हुआ है, इन तीनों रत्नों से युक्त मंगलसूत्र समस्त संसार को प्रकाशमान कर रहा है। आपके काले घुंघराले केश दिव्य पुष्पों के गुच्छों से अलंकृत हैं, हे कीरतिनन्दनी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ? (8)

नितम्ब बिम्ब लम्बमान पुष्प मेखलागुण,
प्रशस्त रत्नकिंकिणी कलाप मध्यमंजुले ।
करीन्द्र शुण्ड दण्डिका बरोह सौभ गोरुके,
कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥ (९)

भावार्थ : आपका उर भाग में फूलों की मालाओं से शोभायमान हैं, आपका मध्य भाग रत्नों से जड़ित स्वर्ण आभूषणों से सुशोभित है। आपकी जंघायें हाथी की सूंड़ के समान अत्यन्त सुन्दर हैं, हे ब्रजनन्दनी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ? (9 )

अनेकमन्त्र नादमंजु नूपुरार वस्खलत्,
समाजराज हंसवंश निक्वणानि गौरवे ।
विलोल हेमवल्लरी विडम्बि चारूचंक्रमे,
कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥ (१०)

भावार्थ : आपके चरणों में स्वर्ण मण्डित नूपुर की सुमधुर ध्वनि अनेकों वेद मंत्रो के समान गुंजायमान करने वाले हैं, जैसे मनोहर राजहसों की ध्वनि गूँजायमान हो रही है। आपके अंगों की छवि चलते हुए ऐसी प्रतीत हो रही है जैसे स्वर्णलता लहरा रही है, हे जगदीश्वरी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ? (10)

अनन्तकोटि विष्णुलोक नम्र पद्मजार्चिते,
हिमाद्रिजा पुलोमजा-विरिंचिजा वरप्रदे।
अपार सिद्धिवृद्धि दिग्ध सत्पदांगुली नखे,
कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥ (११)

भावार्थ : अनंत कोटि बैकुंठो की स्वामिनी श्रीलक्ष्मी जी आपकी पूजा करती हैं, श्रीपार्वती जी, इन्द्राणी जी और सरस्वती जी ने भी आपकी चरण वन्दना कर वरदान पाया है। आपके चरण-कमलों की एक उंगली के नख का ध्यान करने मात्र से अपार सिद्धि की प्राप्ति होती है, हे करूणामयी माँ! आप मुझे कब अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ करोगी ? (11)

Also read:- क्यों कहते hai radha kripa kataksh को राधा कृष्ण के दर्शन कराने वाला स्रोत?

मखेश्वरी क्रियेश्वरी स्वधेश्वरी सुरेश्वरी,
त्रिवेद भारतेश्वरी प्रमाण शासनेश्वरी ।
रमेश्वरी क्षमेश्वरी प्रमोद काननेश्वरी,
ब्रजेश्वरी ब्रजाधिपे श्रीराधिके नमोस्तुते ॥ (१२)

भावार्थ : आप सभी प्रकार के यज्ञों की स्वामिनी हैं, आप संपूर्ण क्रियाओं की स्वामिनी हैं, आप स्वधा देवी की स्वामिनी हैं, आप सब देवताओं की स्वामिनी हैं, आप तीनों वेदों की स्वामिनी है, आप संपूर्ण जगत पर शासन करने वाली हैं। आप रमा देवी की स्वामिनी हैं, आप क्षमा देवी की स्वामिनी हैं, आप आमोद-प्रमोद की स्वामिनी हैं, हे ब्रजेश्वरी! हे ब्रज की अधीष्ठात्री देवी श्रीराधिके! आपको मेरा बारंबार नमन है। (12)

इतीद मत भुतस्तवं निशम्य भानुनन्दिनी,
करोतु संततं जनं कृपाकटाक्ष भाजनम्।
भवेत्तदैव संचित-त्रिरूपकर्म नाशनं,
लभेत्तदा ब्रजेन्द्रसूनु मण्डल प्रवेशनम् ॥ (१३)

भावार्थ : हे वृषभानु नंदिनी! मेरी इस निर्मल स्तुति को सुनकर सदैव के लिए मुझ दास को अपनी दया दृष्टि से कृतार्थ करने की कृपा करो। केवल आपकी दया से ही मेरे प्रारब्ध कर्मों, संचित कर्मों और क्रियामाण कर्मों का नाश हो सकेगा, आपकी कृपा से ही भगवान श्रीकृष्ण के नित्य दिव्यधाम की लीलाओं में सदा के लिए प्रवेश हो जाएगा। (13)

जय श्री राधे

radha kripa kataksh strotr
श्री राधा कृपा(radha kripa kataksh) में कितने श्लोक है ?

13

क्या हिंदी में श्लोक पढ़ने पर भी उतनी ही कृपा प्राप्त होती है ?

हाँ। बिलकुल क्युकी सिर्फ आपके गाने का भाव अनमोल होता है।

who wrote radha kripa kataksh? किसने लिखा

इसे भगवान शिव ने राधा जी को प्रसन्न करने के लिये, पार्वती जी को सुनाया था। 

radha kripa kataksha stotra benefits पढ़ने के फायदा

कहते हैं कि पूर्णिमा, अष्टमी, दशमी, एकादशी और त्रयोदशी को राधा कृपा कटाक्ष स्रोत के पाठ से सभी सांसारिक इच्छायें पूरी होती हैं। 

राधा कृपा कटाक्ष को किन नामो से पुकारते है ?

राधा कवच

  • Sapna

    Sapna

    मार्च 19, 2018

    jay ho hindi meaning👏👏👌👌😍😍😍krpa kataksh bhajnam🙏😇shree radhe

    • Virasat Admin

      Virasat Admin

      मार्च 19, 2018

      dhanywad…jai ho ….Shri Radhe

  • Ajay Katyal

    Ajay Katyal

    मई 15, 2019

    Can’t describe in words.

    • hamari virasat

      hamari virasat

      मई 15, 2019

      Shri Radhe

  • Deepti kesharwani

    Deepti kesharwani

    मई 26, 2019

    Jai jai shri Radhe 🙏🙏

    • hamari virasat

      hamari virasat

      मई 27, 2019

      Jai shri Radhe

  • Pihu

    Pihu

    जून 9, 2019

    Jai ho shri shyamapyari……apne charno me lagaye rakhna….kripa barsaye rakhna….

    • hamari virasat

      hamari virasat

      जून 9, 2019

      Jai ho shyama pyari ki haridas dulari ki

  • Jagdish

    Jagdish

    जुलाई 7, 2019

    Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha Radha

    • hamari virasat

      hamari virasat

      जुलाई 7, 2019

      radhe radhe

  • मञ्जरी विनायक

    मञ्जरी विनायक

    जुलाई 15, 2019

    श्री राधे राधे । श्री राधा कृपा कटाक्ष का अर्थ बहुत सुंदर और सटीक । अगर इसके प्रारम्भ में श्यामजू के ध्यान के श्लोक को जोड़ दिया जाए तो और आभार होगा ।

    • hamari virasat

      hamari virasat

      जुलाई 18, 2019

      Ji jarur apka bhot bahot dhanywad.. add kar diya shri radha rani ka mantra…Shri Radhe
      राधा साध्यम साधनं यस्य राधा, मंत्रो राधा मन्त्र
      दात्री च राधाl
      सर्वं राधा जीवनम् यस्य राधा, राधा राधा वाचि
      किम तस्य शेषम ll”

  • मञ्जरी विनायक

    मञ्जरी विनायक

    अगस्त 1, 2019

    श्यामां गोरोचनाभा स्फुरदसित पट- प्राप्ति रमयावगुंठा …. मैं इस ध्यान के श्लोक के बारे में प्रार्थना कर रही थी

  • Shaini

    Shaini

    मार्च 6, 2020

    Radhe radhe…jai jai sri radheshyam prabhu Nitay
    a gaur haribol

    • hamari virasat

      hamari virasat

      मार्च 8, 2020

      radhe radhe

  • Shubh Shukla

    Shubh Shukla

    मार्च 29, 2020

    Radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe

    • hamari virasat

      hamari virasat

      मार्च 29, 2020

      Radhe Radhe

  • Devika

    Devika

    मई 7, 2020

    Jai shri radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe jai shri radhe 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

    • hamari virasat

      hamari virasat

      मई 12, 2020

      jai shri radhe

  • roy g

    roy g

    मई 26, 2020

    bahut hee acha likha hai apne….dhanywad

  • Deepesh purohit

    Deepesh purohit

    जून 20, 2020

    Radha shree Radha

  • Money

    Money

    अगस्त 27, 2020

    Jai Jai Shri Radhe

    • hamari virasat

      hamari virasat

      अगस्त 27, 2020

      jai shri radhe

  • Riddhi Mishra

    Riddhi Mishra

    अक्टूबर 11, 2020

    Very beautiful.Thankyou for providing us🙏🏻🙏🏻Teeno lok se pyaari RaadhaRaani Humari🤗🤗

    • hamari virasat

      hamari virasat

      अक्टूबर 11, 2020

      🙂 Radhe Radhe

  • Archana

    Archana

    दिसम्बर 1, 2020

    Shree radhe shree harivansh

    • hamari virasat

      hamari virasat

      दिसम्बर 1, 2020

      Shri radhe

  • Madhuri

    Madhuri

    जनवरी 20, 2021

    Radhe radhe

  • Bharti Sharma

    Bharti Sharma

    फ़रवरी 19, 2021

    राधे राधे 🙏🌼🌺

    • hamari virasat

      hamari virasat

      फ़रवरी 21, 2021

      radhe radhe

  • Suman gipta

    Suman gipta

    मई 23, 2021

    Radhe radhe shree radhe

    • hamari virasat

      hamari virasat

      मई 30, 2021

      shri radhe

  • Naman

    Naman

    मई 26, 2021

    मां के इस मधुर स्त्रोत का हिंदी में अनुवाद कर के आप ने बहुत ही सुन्दर कर्म किया है भगवान श्री राधे कृष्ण आप पर सदैव असीम कृपा बनाएं रखें।
    जय श्री राधे श्याम जय श्री कृष्णा श्री
    राधे राधे

    • hamari virasat

      hamari virasat

      मई 30, 2021

      राधे राधे

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