सरस्वती पूजा के दिन हुआ था माँ का जन्म इसकी कहानी जाने
पतझड़ के बाद बंसत ऋतु का आगमन होता है बंसत को ऋतुओं का राजा कहा जाता है. स्वयं भगवान कृष्ण ने कहा है की ऋतुओं में मैं बसंत हूं. देवी सरस्वती को ज्ञान, साहित्य, कला और स्वर की देवी माना जाता है। इन्हें श्वेत रंग अतिप्रिय है। हर वर्ष की माघ शुक्ल पंचमी अर्थात वसंत पंचमी को देवी सरस्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
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देवी सरस्वती की जन्म कथा (Birth Story of Devi Saraswati)
एक कथा के अनुसार जब ब्रह्मा जी ने जगत की रचना की, उस समय पृथ्वी पर चारों तरफ उदासी का वातावरण छाया हुआ था। पृथ्वी के वातावरण को मंगलमय बनाने का विचार करते हुए ब्रह्मा जी के मुख से एक सुंदर स्त्री का जन्म हुआ। इस स्त्री के हाथ में वीणा था, जैसे ही स्त्री ने वीणा बजाना शुरू किया पूरी पृथ्वी लहलहा उठी। तभी से उस दिन को वसंत पंचमी के रुप में मनाया जाने लगा।देवी सरस्वती का स्वरूप (Incarnation of Devi Saraswati)
शास्त्रों और पुराणों के अनुसार देवी सरस्वती बहुत ही शांत स्वभाव की हैं। उनके चार हाथ है जिसमें से एक हाथ में माला और एक हाथ में वेदों को धारण किया हुआ है, जबकि दो अन्य हाथों से देवी ने वीणा पकड़ा हुआ है। इनके गले में श्वेत रंग की माला है तथा इनके वस्त्र भी श्वेत हैं। देवी सरस्वती का वाहन मोर हैं।देवी सरस्वती का मंत्र (Mantra of Devi Saraswati)
सरस्वती जी की पूजा के लिए अष्टाक्षर मूल मंत्र “श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा” परम श्रेष्ठतम और उपयोगी माना जाता है। साथ ही सरस्वती जी को प्रसन्न करने तथा विद्या प्राप्ति के लिए इस मंत्र का भी प्रयोग किया जाता है: ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः।वसंत पंचमी को होती है सरस्वती पूजा (Worship of Devi Saraswati At Vasant Panchami)
वसंत पंचमी के दिन विशेष रूप से सरस्वती पूजा करने का विधान है। इस दिन मुख्यतः देवी सरस्वती की पूजा ज्ञान, बुद्धि और कला की प्राप्ति के लिए किया जाता है। वसंत पंचमी के बारे में और अधिक जानने के लिए यहां क्लिक करें (वसंत पंचमी)मांगे बुद्धि और ज्ञान का वरदान(wisdom and knowlege)
मां सरस्वती का संबंध बुद्धि से है, ज्ञान से है. यदि आपके बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लगता है, यदि आपके जीवन में निराशा का भाव बहुत बढ़ गया है, तो बंसत पंचमी के दिन मां सरस्वती का पूजन अवश्य करें. मां के आशीर्वाद से आपका ज्ञान बढ़ेगा और आप जीवन में सही निर्णय लेने में सफल होंगे.देवी सरस्वती के अन्य नाम (Other Name of Devi Saraswati)
- शारदा
- शतरूपा
- वाणी
- वाग्देवी
- वागेश्वरी
- भारती
- कौशिकी
देवी सरस्वती के प्रमुख मंदिर (Famous Temples of Devi Saraswati)
- शारदा मंदिर (मैहर)
- सरस्वती मंदिर (पुष्कर)
- श्रृंगेरी मंदिर
- सरस्वती मंदिर (कोट्टयम)
- श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर (निजामाबाद)
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