हमारी विरासत भव्यता से भरी है। और इसकी आध्यात्मिक शक्ति सदियों से सभी का सृजन कर रही है। हजारों वर्षों बाद आज भी भगवान् राम अपनी सच्चाई के लिए जाने जाते हैं। उन्हें पुरुषोत्तम भी कहा जाता है। एक आदर्श राजा । श्री रामायण श्री राम और सीता जी के जीवन के बारे में एक प्राचीन संस्कृत महाकाव्य है। यह भारत के दो सबसे महत्वपूर्ण प्राचीन महाकाव्यों में से एक है। पहला प्राचीन महाभारत है। महाकाव्य मूल रूप से प्राचीन भारत के ऋषि वाल्मीकि जी द्वारा लिखा गया था। इस ग्रंथ में लगभग 96,000 श्लोक हैं और यह सात भागों में विभाजित है।
भाषा: संस्कृत
छंद: 24,000
श्लोक: 96000
लेखक: वाल्मीकि
धर्म: हिंदू धर्म
रामायण शब्द दो शब्दों के मेल से बना है राम + अयन । राम का अर्थ है ‘प्रकाश’। किरण एवं आभा (कांति) जैसे शब्दों के मूल में राम है। ‘रा’ का अर्थ है आभा (कांति) और ‘म’ का अर्थ है मैं, मेरा और मैं स्वयं। राम का अर्थ है मेरे भीतर प्रकाश, मेरे ह्रदय में प्रकाश।अयन का अर्थ होता है, गति, मार्ग,चाल, अर्धचन्द्राकार दृश्य। इस प्रकार से रामायण का अर्थ है, राम के जीवन का चित्रण।
रामायण के सात अध्याय हैं जो काण्ड के नाम से जाने जाते हैं।रामायण के विभिन्न भागों को ग्रंथ भी कहा जाता है।
रामायण की सारी जीवंत शब्द बड़ी ही प्रेरणात्मक और आध्यात्मिक है। यहाँ रामायण के सभी संस्कृत श्लोक को छोटे-छोटे हिंदी कहानी के रूप में संग्रह किया गया है, जिसे पढ़ने पे रामायण की सारी महत्वपूर्ण जानकारी मिल जाती है। इसे एक बार जरूर पढ़े।
बालकाण्ड रामायण का पहला भाग है जिसके अंतगर्त प्रभु राम के जन्म से लेकर उनके राम-विवाह तक के घटनाक्रम आते हैं।
अयोध्याकाण्ड रामायण का दूसरा भाग है जिसके अंतगर्त श्रीराम राज्याभिषेक की तैयारी , वन गमन श्रीराम-भरत मिलाप तक के घटनाक्रम आते हैं।
अरण्यकाण्ड में राम, सीता तथा लक्ष्मण दण्डकारण्य में प्रवेश करते हैं।
किष्किंधाकाण्ड में श्री राम – हनुमान और सुग्रीव मिलन, सुग्रीव का दुःख सुनना, बाली का उद्धार, सीता जी की खोज के लिए सभी का प्रस्थान और जामवंत का हनुमान को बल स्मरण कराना उल्लेखित है।
सुन्दरकाण्ड में हनुमान जी का लंका प्रस्थान, सुरसा भेंट, लंकिनी वध, सीता और हनुमान जी संवाद, लंका दहन, हनुमान जी की वापसी, रावण – विभीषण संवाद, विभीषण का श्रीराम जी से शरण प्राप्ति और समुद्र पर श्रीराम जी का क्रोध तक की घटनायें हैं।
लंकाकाण्ड में नल नील का समुद्र पे सेतु बांधना,सभी का समुद्र पार करना, अंगद-रावण संवाद, लक्ष्मण-मेघनाथ युद्ध, हनुमान जी का संजीवनी लाने के लिए जाना, कुम्भकर्ण का जागना और उसकी परमगति, मेघनाथ युद्ध, राम – रावण युद्ध, सीता जी अग्नि परीक्षा, विभीषण का राज्याभिषेक और श्री सीता-रामजी का अवध के लिए प्रस्थान उल्लेखित है।
उत्तरकाण्ड राम कथा का उपसंहार है। सीता, लक्ष्मण और समस्त वानर सेना के साथ राम अयोध्या वापस पहुँचे। राम का भव्य स्वागत हुआ, भरत के साथ सर्वजनों में आनन्द व्याप्त हो गया। वेदों और शिव की स्तुति के साथ राम का राज्याभिषेक हुआ। वानरों की विदाई दी गई।