पूज्य राजन जी महाराज (rajan jee maharaj) मैथिली व भोजपुरी भक्ति गीतों को सुर देने वाले सुप्रसिद्घ संगीतमय रामकथा वाचक है। प्रेममूर्ति पूज्य संत श्री प्रेमभूषण जी महाराज इनके गुरु और प्रातः स्मरणीय पूज्य पिता भी है।
“राम नाम में बहुत गहराई है “
जबतक भगवान की कृपा नही होती, तब तक संत का दर्शन दुर्लभ है। और भगवान तब तक कृपा नहीं करते जबतक कोई संत भगवान को कृपा करने के लिये नहीं कहे। जब जीवन मे ज्यादा प्रसन्न हो तो किसी को कोई वचन नहीं देना चाहिए और जब मन में ज्यादा क्रोध हो तो कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए क्योंकि दोनों ही स्थिति में नुकसान अपना ही है।क्रोध बोध को समाप्त कर देता है। किसी की चर्चा करने से दोष उजागर हो तो वहां मौन हो जाना ही बेहतर होता है।