गुजरात के स्तंभेश्वर महादेव मंदिर(Shree Stambheshwar Mahadev) की एक बड़ी ही खास बात है जिसके लिए यह मंदिर दुनिया भर में जाना जाता है। इस अलौकिक मंदिर में भगवान शंकर का जलाभिषेक करने खुद समंदर आता है। यह मंदिर गुजरात राज्य के वड़ोदरा शहर से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कवि कम्बोई गांव में है।
राक्षक ताड़कासुर ने अपनी कठोर तपस्या से शिव को प्रसन्न कर लिया था। जब शिव उसके सामने प्रकट हुए तो उसने वरदान मांगा कि उसे सिर्फ शिव जी का पुत्र ही मार सकेगा और वह भी छह दिन की आयु का। शिव ने उसे यह वरदान दे दिया था। वरदान मिलते ही ताड़कासुर ने हाहाकार मचाना शुरू कर दिया। देवताओं और ऋषि-मुनियों को आतंकित कर दिया। अंतत: देवता महादेव की शरण में पहुंचे। शिव-शक्ति से श्वेत पर्वत के कुंड में उत्पन्न हुए शिव पुत्र कार्तिकेय के 6 मस्तिष्क, चार आंख, बारह हाथ थे। कार्तिकेय ने ही मात्र 6 दिन की आयु में ताड़कासुर का वध किया।
जब कार्तिकेय को पता चला कि ताड़कासुर भगवान शंकर का भक्त था, तो वे काफी व्यथित हुए। फिर भगवान विष्णु ने कार्तिकेय से कहा कि वे वधस्थल पर शिवालय बनवा दें। इससे उनका मन शांत होगा। भगवान कार्तिकेय ने ऐसा ही किया। फिर सभी देवताओं ने मिलकर महिसागर संगम तीर्थ पर विश्वनंदक स्तंभ की स्थापना की, जिसे आज स्तंभेश्वर तीर्थ के नाम से जाना जाता है।
यह मंदिर भारत के सबसे रहस्यमय मंदिरों में से एक है। स्तंभेश्वर महादेव मंदिर को गायब मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर को गायब मंदिर कहने के पीछे एक अनोखी घटना है। वह घटना वर्ष में कई बार देखने को मिलती है जो मंदिर को हमेशा सुर्खियों में बनाए रखती है।
पौराणिक मान्यता के मुताबिक स्तंभेश्वर महादेव मंदिर में स्वयं शिवशंभु (भगवान शंकर) विराजते हैं इसलिए समुद्र देवता स्वयं उनका जलाभिषेक करते हैं। यहां पर महिसागर नदी का सागर से संगम होता है। स्तंभेश्वर महादेव मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु समंदर द्वारा शिवशंभु के जला