
कौन कहता है नदियों के दोनों किनारे कभी मिल नहीं सकते हैं
भाव वाली कविता बिहारी जी के लिए एक भक्त का प्यार कौन कहता है नदियों के दोनों किनारे कभी मिल नहीं
भाव वाली कविता बिहारी जी के लिए एक भक्त का प्यार कौन कहता है नदियों के दोनों किनारे कभी मिल नहीं
राधा ही कृष्ण और
कृष्ण ही राधा क्यों है ?
राधा कृष्णा(radha krishna) कोई दो नहीं
हे बिहारी जी भीड़ में भी सुकून मिलता है शोर में भी शांति मिलती है हे बिहारी जी आपके दरबार की तो
भगवान की कृपा(grace of god) तेरी कलम है कहानी मेरी है अच्छी हो या बुरी हूँ लिखा तो तुमने ही
विरह भाव :
श्री कृष्णा (shri Krishna)
source: Twitter
विरह भाव :कृष्ण(krishna) कहते
वृन्दावन की होली हे बिहारी जी , खुशबू आने लगी है अभी से रंगो और गुलालों की, बुला लो अब
सुविचार(Good thought) गुरुर में इंसान को कभी इंसान नहीं दिखता जैसे छत पर चढ़ जाओ तो
कौन गा सकता है उस कृपा मई श्री जी( राधा रानी
) के बारे में जिनका एक बार नाम लेने से तन मन
गोपी भाव कैसे गुजरेगी ये पूरी जिंदगी तेरे इंतजार में अभी तो कुछ पल ही काटे हैं तेरे इंतजार
सोना ठीक है पर जागते हुए गहरी नींद में सोना गलत है एक बार भगवान गौतम बुद्ध(gautam buddha) एक गाँव