रिश्तो का मोल समझे इसे पहले की आप उन अनमोल रिश्तो को खो दे।

रिश्तो का मोल समझे इसे पहले की आप उन अनमोल रिश्तो को खो दे।

रिश्ते अनमोल है (Relationship is precious)

बात बहुत गहरी है मेरी एक छोटी से कोशिश है की आप सभी तक अपनी बात पंहुचा सकू। ये सही बात है आज हम सभी बहुत व्यस्त हो गए है और हम सभी किसी न किसी उलझन में फसे है। हम सभी कामयाब होना चाहते है बहुत सारे पैसे कामना चाहते है। उसके लिए  दिन और रात का फर्क तक भूल जाते है।  सारे रिश्तें भूल जाते है।

क्या वो लम्हे आपको याद है :-

  • अपनों के साथ बैठ कर वो दो पल बिताना छत पे और गुज़ारे हुए लम्हो की बातो पे वो जोर जोर से हसना।
  • याद है आपको वो पल जब आप अपनी जिंदगी से लम्हे चुरा कर सुबह जल्दी उठकर अँधेरे में प्यारी सी ताज़ी  हवा को गले से लगया हो और उस ईश्वर को धन्यवाद किया हो इस प्यारी सी सुबह से मिलवाने के लिए।
  • पूरे दिन माँ इतना कुछ करती है हम सभी के लिए उनको प्यारे से गले से आखरी बार अपने कब लगाया।
  • जिंदगी को जीने की चाह में सच में हम जिंदगी से मिलना ही भूल गए।
  • दो पल का समय घर पे मिलता है आज हम सभी को लेकिन वो दो पल भी हमने मोबाइल को दे दिया। हमारे आस पास रिश्तें को न जाने कितनी बार नज़र अंदाज़ किया होगा हमने।

किसी ने सच ही कहा है अगर हम यू जो सोच लेते  एक दिन सबको  खोना ही है बस दो ही पल मिले है साथ में तो आज दिलो में नफरत नहीं होती। 

रिश्तों में  प्यार :-

किसी भी रिश्ते में प्यार  का होना जरूरी ही नहीं , बहुत जरुरी है। रिश्ता चाहें  दोस्ती का हो या कोई और, प्यार  ही है जो  रिश्तों में  मिठास बढ़ाता है। प्यार  से  रहित होकर  रिश्ते सिर्फ एक बोझ बनकर रह जाते है और फिर जिन्दगी भर हम उन्हें  एक बोझ  की जैसे ढोते रहते है ।

रिश्तों में एहसास :-

आपके आस पास भी एक दुनिया है उसे देखिए एहसास हर रिश्तें को खास बनता है। क्योंकि एहसास ही है जो रिश्तों  को एक  दूसरे से जोड़े रखता है ।

हर खुशी  हर गम में साथ –

“कभी  खुशी कभी गम “यही  जिन्दगी  जीने का  नाम है और रिश्ते वह आधार है जो हर गम को छोटा  और  हर खुशी  को बड़ा कर देते हैं ।रिश्ते ही है जो  पूरी तरह से  टूट चुके व्यक्ति को फिर से  सभांल सकते है। रिश्ते ही  है जो जिन्दगी से हार चुके  व्यक्ति को फिर से  जीने की  नई  राह  दिखाते है । रिश्ते ही है जो हर दुःख को झेलने की  ताकत  और  हर खुशी  को आनंदमयी।बनाते हैं । इसलिए  हमेशा ही हर पहलू  में अपने  नजदीकी  के और  नजदीक आए और  उसे जीना सिखाएं।

रिश्तों में  समझ –

रिश्तों को तभी निभाया  जा सकता है जब हमें रिश्तों की समझ  होगी । आँखों को पढ़ना सीखये हर बात बताये नहीं जाते।  कभी कभी हमें उम्मीद होती है की कोई हमें समझ लेगा अगर हम कुछ न भी कहे तो। मुश्किलों का पहाड़ अगर एक साथ उठाया जाये तो रिश्ते और मजबूत हो जाते है।

एक सोच जो आपका जीवन बदल देगा:-

किसी से कोई काम गलत हो गया, किसी से कोई गलती हो गयी, किसी ने हमारे अनुसार काम नहीं किया, कोई हमारी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा तो बस आरोपों का सिलसिला शुरू। और कभी कभी इस प्रक्रिया में हम दूसरों के प्रति अपने मन में इस कदर नफरत पाल लेते हैं कि हर पल वो नफरत हमें परेशान करती है। और कभी कभी तो हम ऐसी फ़ालतू बातों को लेकर नफरत करने लग जाते है जिसका सामने वाले को पता तक नहीं होता। हम अकेले ही घुटते रहते हैं मरते रहते है और सामने वाला उस बारे में सोच तक नहीं रहा होता है। एक कहानी शेयर कर रहे है जो की एक संत और एक शिष्य की है जिसमे बतया गया है शक नहीं करना चाहिए बेवजय किसी पे : एक बार की बात है। एक संत अपने शिष्य के साथ जंगल से गुजर रहे थे। जंगल से गुजरते हुए उन्होंने देखा कि एक नदी किनारे एक लड़की चट्टान पर बैठी हुई है। लड़की ने संत को प्रणाम करके कहा, ” महाराज!  मैं ये नदी पार करके सामने के गाँव में जाना चाहती हूँ, परन्तु नदी के बहाव को देखकर, इसे पार करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही हूँ। लड़की ने संत से प्रार्थना करते हुए कहा, ”महाराज!  शाम होने को है और मुझे अपने घर पहुँचना है, अगर आप मुझे नदी पार करवा दें तो आपकी बड़ी कृपा होगी।” संत ने एक पल के लिए कुछ विचार किया। फिर उन्होंने उस लड़की को अपनी पीठ पर बिठाया और तैर कर नदी के पार उतार दिया। लड़की ने संत को प्रणाम करके विदा ली। शिष्य संत के इस व्यवहार को देख कर विस्मित सा हो रहा था। लेकिन उसने कुछ कहा नहीं। तीन महीने बाद, एक दिन दोनों गुरु शिष्य पेड़ के नीचे बैठे हुए ध्यान कर रहे थे। एकाएक शिष्य चिल्ला उठा,”बस अब और नहीं, मुझसे और बर्दाश्त नहीं होता। उसने संत से कहा, महाराज!  मुझे यकीन नहीं होता कि आपने एक संत होते हुए भी एक स्त्री को छुआ और उसे पीठ पर बैठा कर नदी के पार उतारा। मैंने आपको एक सच्चा संत मान कर आपकी दिन-रात सेवा की और आपने ये कर्म किया? आपने न केवल मेरा विश्वास तोड़ा है बल्कि आपने तो उस परमात्मा को भी धोखा दिया है। आप संत नहीं हो सकते।” अपने शिष्य के वचन सुनकर संत हल्के से मुस्कुराये और बोले, ”वत्स, मैंने उस स्त्री को केवल दो मिनट में नदी के उस पार उतार दिया। क्योंकि मानव सेवा और समाज का भला ही एक संत का उदेश्य होता है। उस दिन के बाद एक पल के लिए भी वो स्त्री मेरे मन या स्मरण में नहीं रही। परन्तु तुमने हर पल उसको अपने मन में रखकर, पिछले तीन महीने उसके साथ बिताये है। ध्यान के समय, विचरण करते समय, भोजन करते हुए, पल-पल वो तुहारे साथ थी। वो रह रही थी उस नफरत में, जो तुम्हारे मन में घर कर गयी, उसने तुम्हारी विचार करने की शक्ति पर भी अधिकार कर लिया।” फिर संत ने शिष्य को समझाते हुए कहा, “वत्स, मनुष्य के अंदर ह्रदय ही वो स्थान है जहां शांति और शुद्धता का वास ज़रूरी है। जीवन के सफ़र में साथ चलने वाले राहगीरों के कार्यो से हमारे मन में अशुद्धता का आगमन नहीं होना चाहिए। मानव सेवा और समाज का भला करते हुए हमें अपने हृदय में अशुद्ध  विचारों को कभी नहीं आने देना चाहिए।” गुरु की बात सुनकर शिष्य निरुत्तर हो गया। निष्कर्ष :हमारे साथ भी ज़्यादातर ऐसा ही होता है। हममें से भी ज़्यादातर लोग परिस्थितियों के सकारात्मक पक्ष को ना देखते हुए उसके नकारात्मक पक्ष को पकड़ कर बैठ जाते हैं। फिर वे नकारात्मक विचार धीरे धीरे नफरत में बदल जाते हैं और हमारे जीवन के हर एक पल में इस कदर शामिल हो जाते हैं कि उठते, बैठते, सोते, जागते, खाना खाते हुए, कुछ भी काम करते हुए हर पल हमें परेशान करते हैं। हम अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं। जबकि कभी कभी उस नकारात्मक विचार या नफरत को कोई मतलब ही नहीं होता है। सकारात्मक विचारों से अपने मन को शुद्ध करें और  अपनी ज़िंदगी को बेहतर बनाने का प्रयास करें।
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