ऊँ जय सूर्य भगवान | surya dev ki aarti lyrics | surya aarti pdf

ऊँ जय सूर्य भगवान | surya dev ki aarti lyrics | surya aarti pdf

सूर्य देव ज्ञान और बुद्धि के देवता भी हैं। कहा जाता है कि सूर्य आरती गाने से एकाग्रता, याददाश्त और समग्र संज्ञानात्मक कार्य में सुधार होता है। आध्यात्मिक विकास सूर्य देव हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक हैं, और सूर्य आरती गाना उनके साथ जुड़ने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का एक तरीका है। ऐसा कहा जाता है कि यह व्यक्ति को करुणा, विनम्रता और उदारता जैसे आध्यात्मिक गुणों को विकसित करने में मदद करता है।

श्री सूर्य आरती (surya dev ki aarti) को शांत मन के साथ, अपने आप को सूर्यदेव (surya dev) के चरणों में समर्पित करते हुए पढ़ने से निश्चित ही धन धान्य, कीर्ति में बढ़ोतरी होती है तथा सारे कष्ट दूर हो जाते हैं | इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करके पुण्य के भागी बनें तथा दूसरों को भी इसका लाभ लेने का मौका अवश्य दें |

सूर्य देव की आरती-surya dev ki aarti

॥ ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान ॥

जगत् के नेत्र स्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
धरत सब ही तव ध्यान, ऊँ जय सूर्य भगवान ॥

॥ ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान ॥

सारथी अरूण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी ।
तुम चार भुजाधारी ॥

अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटी किरण पसारे ।
तुम हो देव महान ॥

॥ ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान ॥

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते ।
सब तब दर्शन पाते ॥

फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा ।
करे सब तब गुणगान ॥

॥ ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान ॥

संध्या में भुवनेश्वर, अस्ताचल जाते ।
गोधन तब घर आते॥

गोधुली बेला में, हर घर हर आंगन में ।
हो तव महिमा गान ॥

॥ ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान ॥

देव दनुज नर नारी, ऋषि मुनिवर भजते ।
आदित्य हृदय जपते ॥

स्त्रोत ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी ।
दे नव जीवनदान ॥

॥ ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान ॥

तुम हो त्रिकाल रचियता, तुम जग के आधार ।
महिमा तब अपरम्पार ॥

प्राणों का सिंचन करके, भक्तों को अपने देते ।
बल बृद्धि और ज्ञान ॥

॥ ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान ॥

भूचर जल चर खेचर, सब के हो प्राण तुम्हीं ।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥

वेद पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने ।
तुम ही सर्व शक्तिमान ॥

॥ ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान ॥

पूजन करती दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल ।
तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥

ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी ।
शुभकारी अंशुमान ॥

॥ ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान ॥

ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान ।
जगत के नेत्र रूवरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ॥

धरत सब ही तव ध्यान, ऊँ जय सूर्य भगवान ॥

Surya dev ki arti video
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