कहानी सागर में रहने वाली एक बूंद की है(new spiritual story)

कहानी सागर में रहने वाली एक बूंद की है(new spiritual story)

यह कहानी (spiritual story) कल्पना से निकली है लेकिन बहुत गहरी है। उम्मीद है आपके जीवन को एक नई दिशा देगी।

सागर:-

सागर बहुत ही विशाल और असीमित है। और उसकी गहराई का कोई अंत नहीं। सागर यूं ही सागर नहीं बन जाता उसको अपनी विशालता को संभाल कर रखने के लिए धैर्य बनाए रखना पड़ता है।

कहानी सागर में रहने वाली एक बूंद की:-

यह कहानी सागर में रहने वाली एक बूंद की है जो रहती तो सागर में है। लेकिन खुद का वजूद चाहती थी। वो बूंद रोज यह सोचती मैं सागर से अलग हो जाऊं तो फिर मैं एक बूंद के रूप में पहचानी जाऊंगी और मेरी खुद की अपनी पहचान होगी।

और एक दिन उसने ऐसा ही किया वह बूंद सागर से अलग हो गई और अपना वजूद पा लिया। वो बहुत खुश थी। जब बहुत दिन बीत गए पूर्णिमा की वो रात थी। बूंद दूर से सागर को देख रही थी।

सागर पर उस पूर्णिमा के चांद की रोशनी ऐसे जान पर रही थी जैसे कोई हीरा चमक रहा हो और उसकी विशालता उसको और खूबसूरत बना रही थी।

बूंद ने अपनी ओर देखा और गहरी सोच में पड़ गई। उसने देखा इस नाम को पाने की चाह में वह अब विशाल नहीं रही। अपनी विशालता, असीमिता और उस गहराई को उसने कहीं खो दिया है।

और बूंद उदास होकर सागर के पास गई। और कहा:-

सागर मुझे माफ कर दो मैंने तुमसे बताए बिना तुम से खुद को अलग कर लिया लेकिन तुमने फिर भी मुझसे कुछ नहीं कहा और मेरे इस निर्णय का स्वागत किया।

बूंद ने कहा मुझे फिर से खुद में मिला लो अपने वजूद की चाह में तुम्हें भुला दिया और तुम्हारी महानता को ठुकरा दिया।

सागर ने कहा:-

आगे की कहानी निचे दिए गए लिंक पर जाकर पढ़े..

Leave your comment
Comment
Name
Email