नवरात्रि का महत्व जाने और जाने देवी भागवत के तीसरे स्कन्द में नवरात्रि के बारे में क्या लिखा है.

नवरात्रि का महत्व जाने और जाने देवी भागवत के तीसरे स्कन्द में नवरात्रि के बारे में क्या लिखा है.

श्री देवी भागवत के तीसरे स्कन्द में नवरात्रि का विशेष महत्व वर्णन किया गया है | मनोवांछित सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए देवी की महिमा सुनायी है, हमारी चेतना के अंदर सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण- तीनों प्रकार के गन व्याप्त हैं। प्रकृति के साथ इसी चेतना के उत्सव को नवरात्रि कहते है। इन ९ दिनों में पहले तीन दिन तमोगुणी प्रकृति की आराधना करते हैं, दूसरे तीन दिन रजोगुणी और आखरी तीन दिन सतोगुणी प्रकृति की आराधना का महत्व है । नवरात्रि के 9 दिन उपवास करने के शारीरिक लाभ बताये हैं | और भी बहुत कुछ आयी जानते है भारतीय संस्कृति और अध्यात्म के उच्च विचार को।

  • मन शांत- और एकाग्र होता है। शांत होकर इंसान माँ का सुमिरन करता है और उलझने में माँ राह दिखाती है।
  • शरीर में आरोग्य के कण बढ़ते हैं |
  • इन नौ दिन प्रकृति में एक विशेष संयोग बनता है। जिस वजय से आपका उपवास -अन्न का त्याग आप में एक अलग ही शक्ति का संचार करता है।
  • जो उपवास नहीं करता तो रोगों का शिकार हो जाता है, जो नवरात्रि के उपवास करता है, तो भगवान की आराधना होती है, पुण्य तो बढ़ता ही है, लेकिन शरीर का स्वास्थ्य भी वर्ष भर अच्छा रहता है |
  • प्रसन्नता बढ़ती है |
  • द्रव्य की वृद्धि होती है |
  • लंघन और विश्रांति से रोगी के शरीर से रोग के कण ख़त्म होते हैं

नौ दिन नहीं तो कम से कम 7 दिन / 6दिन /5 दिन , या आख़िरी के 3 दिन तो जरुर उपवास रख लेना चाहिए |

  1. नवरात्रि के पहले दिन स्थापना, देव वृत्ति की कुंवारी कन्या का पूजन हो |
  2. नवरात्रि के दूसरे दिन 3 वर्ष की कन्या का पूजन हो, जिससे धन आएगा ,कामना की पूर्ति के लिए
  3. नवरात्रि के तीसरे दिन 4 वर्ष की कन्या का पूजन करें, भोजन करायें तो कल्याण होगा,विद्यामिलेगी, विजय प्राप्त होगा, राज्य मिलता है |
  4. नवरात्रि के चौथे दिन 5 वर्ष की कन्या का पूजन करें और भोजन करायें | रोग नाश होते हैं.
  5. नवरात्रि के पांचवे दिन 6 वर्ष की कन्या काकाली का रुप मानकर पूजन करके भोजन कराए तो शत्रुओं का दमन होता है |
  6. नवरात्रि के छटे दिन 7 वर्ष की कन्या काचंडी का रुप मानकर पूजन करके भोजन कराए तो ऐश्वर्य और धन सम्पत्ति की प्राप्ति होती है |
  7. नवरात्रि के सातवे दिन 8 वर्ष की कन्या का शाम्भवीरुप में पूजन कर के भोजन कराए तो किसी महत्त्व पूर्ण कार्य करने के लिए,शत्रु पे धावा बोलने के लिए |
  8. नवरात्रि के सातवे दिन 8 वर्ष की कन्या का शाम्भवीरुप में पूजन कर के भोजन कराए तो किसी महत्त्व पूर्ण कार्य करने के लिए,शत्रु पे धावा बोलने के लिए |
  9. नवरात्रि की अष्टमी को दुर्गा पूजा करनी चाहिए | सभी संकल्प सिद्धहोते हैं | शत्रुओं का संहार होता है |
  10. नवरात्रि के नवमी को 9 से 7 साल की कन्या का पूजन भोजन कराने से सर्व मंगल होगा, संकल्प सिद्ध होंगे, सामर्थ्यवान बनेंगे, इसलोक के साथ परलोक को भी प्राप्त कर लेंगे, पाप दूर होते हैं, बुद्धि में औदार्य आता है, नारकीय जीवन छुट जाता है, हर काम में, हर दिशा में सफलता मिलती है

ये मंत्र आपको रोग से दूर करेगा।:-

या देवी सर्व भूतेषु आरोग्य रुपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यैनमस्तस्यैनमो नमः ||

श्रद्धा पूर्ण जाप करेंगे तो पूरा साल आरोग्य रहेगा |श्रद्धा पूर्ण जाप करेंगे तो पूरा साल आरोग्य रहेगा | अगर कुछ होगा तो माँ की कृपा से आपकी रक्षा होगी।

माँ की आराधना:-

दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती ये तीन रूप में माँ की आराधना करते है| माँ सिर्फ आसमान में कहीं स्थित नही हैं, ऐसा कहा जाता है कि

“या देवी सर्वभुतेषु चेतनेत्यभिधीयते” – “सभी जीव जंतुओं में चेतना के रूप में ही माँ / देवी तुम स्थित हो”

नवरात्रि माँ के अलग अलग रूपों को निहारने और उत्सव मानाने का त्यौहार है। जैसे कोई शिशु अपनी माँ के गर्भ में ९ महीने रहता हे, वैसे ही हम अपने आप में परा प्रकृति में रहकर – ध्यान में मग्न होने का इन ९ दिन का महत्व है। वहाँ से फिर बाहर निकलते है तो सृजनात्मकता का प्रस्सपुरण जीवन में आने लगता है।

शुभ नवरात्री

Tags:
Leave your comment
Comment
Name
Email