क्या है रहस्य भगवान विष्णु (lord Vishnu) के ‘हरि’ और ‘नारायण’ नाम का ?

क्या है रहस्य भगवान विष्णु (lord Vishnu) के ‘हरि’ और ‘नारायण’ नाम का ?

भगवान श्री विष्णु को करोड़ो नामों(lord vishnu) से जाना जाता है, और ये हम सभी जानते है जिनमें हरि और नारायण उनके प्रसिद्द नामों में से एक हैं। वैसे तो भगवान विष्णु के अनंत नाम हैं पर इन नामों का रहस्य सचमुच बहुत खास है। आईये जानते हैं –

पुराणों में भगवान विष्णु के दो रूप:-

पुराणों में भगवान विष्णु के दो रूप बताए गए हैं. एक रूप में तो उन्हें बहुत शांत, प्रसन्न और कोमल बताया गया है और दूसरे रूप में प्रभु को बहुत भयानक बताया गया है. जहां श्रीहरि काल स्वरूप शेषनाग पर आरामदायक मुद्रा में बैठे हैं. लेकिन प्रभु का रूप कोई भी हो, उनका ह्रदय तो कोमल है और तभी तो उन्हें कमलाकांत और भक्तवत्सल कहा जाता है.

भगवान विष्णु का शांत स्वाभाव:-

कहा जाता है कि भगवान विष्णु का शांत चेहरा कठिन परिस्थितियों में व्यक्ति को शांत रहने की प्रेरणा देता है. समस्याओं का समाधान शांत रहकर ही सफलतापूर्वक ढूंढा जा सकता है. शास्त्रों में भगवान विष्णु के बारे में लिखा है.

“शान्ताकारं भुजगशयनं”। पद्मनाभं सुरेशं ।

विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् ।

इसका अर्थ है भगवान विष्णु शांत भाव से शेषनाग पर आराम कर रहे हैं. भगवान विष्णु के इस रूप को देखकर मन में ये प्रश्न उठता है कि सर्पों के राजा पर बैठकर कोई इतना शांत कैसे रह सकता है? लेकिन वो तो भगवान हैं और उनके लिए सब कुछ संभव है. श्री विष्णु के पास कई अन्य शक्तियां हैं, जो आपको आश्चर्यचकित कर सकती हैं.

क्या है भगवान के “हरि” नाम के पीछे का भाव:-

आपने भगवान विष्णु का ‘हरि’ नाम भी कई बार जाने-अनजाने में बोला और सुना होगा। किंतु यहां बताए जा रहे इसी नाम के कुछ रोचक अर्थों से संभवतः अब तक आप भी अनजान होंगे। ये मतलब जानकर आप यह नाम बार-बार बोलने का कोई मौका चूकना नहीं चाहेंगे –

शास्त्रों के मुताबिक भगवान विष्णु के ‘हरि’ नाम का शाब्दिक मतलब हरण करने या चुरा लेने वाला होता है। कहा गया है कि ‘हरि: हरति पापानि’ जिससे यह साफ है कि हरि पाप या दु:ख हरने वाले देवता है। सरल शब्दों में ‘हरि’ अज्ञान और उससे पैदा होने वाले कलह को हरते या दूर कर देते हैं।

क्योंकि सच्चे मन से श्रीहरि का स्मरण करने वालों को कभी निऱाशा नहीं मिलती है. कष्ट और मुसीबत चाहें जितनी भी बड़ी हो श्रीहरि सब दुख हर लेते हैं.

‘हरि’ नाम को लेकर एक रोचक बात भी बताई गई है, जिसके मुताबिक हरि को ऐश्वर्य और भोग हरने वाला भी माना है। चूंकि भौतिक सुख, वैभव और वासनाएं व्यक्ति को भगवान और भक्ति से दूर करती है। ऐसे में हरि नाम स्मरण से भक्त इन सुखों से दूर हो प्रेम, भक्ति और अंत में भगवान से जुड़ जाता है।

यही वजह है कि ‘हरि’ नाम को धार्मिक और व्यावहारिक रूप से सुख और शांति का महामंत्र माना गया है।

क्या है भगवान के “नारायण” नाम के पीछे का भाव:-

भगवान विष्णु अपने भक्तों पर हर रूप और हर स्वरूप से कृपा बरसाते हैं और इसीलिए वो जगत के पालनहार कहलाते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान विष्णु का नाम नारायण क्यों है? उनके भक्त उन्हें नारायण क्यों बुलाते हैं? भगवान विष्णु को “नारायण” भी पुकारा जाता है। सांसारिक जीवन के लिए तो नारायण नाम की महिमा इतनी ज्यादा बताई गई है कि इस नाम का केवल स्मरण भी सारे दुःख व कलह दूर करने वाला बताया गया है।

पौराणिक प्रसंगों में भगवान विष्णु के परम भक्त देवर्षि नारद क नारायण-नारायण भजना भी इस नाम की महिमा उजागर करता है। इसी तरह भगवान विष्णु के कई नाम स्वरूप व शक्तियों के साथ नारायण शब्द जोड़कर ही बोले जाते हैं। जैसे – सत्यनारायण, अनंतनारायण, लक्ष्मीनारायण, शेषनारायण, ध्रुवनारायण आदि।

इस तरह नारायण शब्द की महिंमा तो सभी सुनते और मानते हैं, किंतु कई लोग भगवान विष्णु को नारायण क्यों पुकारा जाता है, नहीं जानते। यहां बताए जा रहे हैं भगवान विष्णु के नारायण नाम होने से जुड़े खास वजहें –

भगवान विष्णु के सोने का क्या रहस्य है, आखिर क्या कहता है हिन्दू धर्म?

असल में, पौराणिक मान्यता है कि जल, भगवान विष्णु के चरणों से ही पैदा हुआ। गंगा नदी का नाम “विष्णुपादोदकी’ यानी भगवान विष्णु के चरणों से निकली भी इस बात को उजागर करता है।

वहीं पानी को नीर या नार कहा जाता है तो वहीं जगतपालक के रहने की जगह यानी अयन क्षीरसागर यानी जल में ही है। इस तरह नार और अयन शब्द मिलकर नारायण नाम बनता है। यानी जल में रहने वाले या जल के देवता। जल को देवता मानने के पीछे यह भी एक वजह है।

पौराणिक प्रसंगों पर गौर भी करें तो भगवान विष्णु के दशावतारों में पहले तीन अवतारों (मत्स्य, कच्छप व वराह) का संबंध भी किसी न किसी रूप में जल से ही रहा। सीलिए भगवान विष्णु को उनके भक्त ‘नारायण’ नाम से बुलाते हैं.

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