श्री राधा वल्लभ लाल ( radha ballabh ) प्राचीन मंदिर है।जो की श्री कृष्ण जी की जीवन लीला से जुडी है। जिसका आध्यात्मिक -सांस्कृतिक अपना अलग ही महत्व है।
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यह मन्दिर श्री हरिवंश महाप्रभु ने स्थापित किया था। वृंदावन के मंदिरों में से एक मात्र श्री राधा वल्लभ मंदिर में नित्य रात्रि को अति सुंदर मधुर समाज गान की परंपरा शुरू से ही चल रही है। वृंदावन का नाम आते ही मन राधे-राधे, हरे-कृष्ण, हरे-कृष्ण गाते हुए झूमने लगता है। वृंदावन नटखट, माखनचोर, गोपाल, वंशीधर भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं से लेकर उनकी रासलीलाओं तक की गवाह है। यही वो जगह है जहां खुद भगवान श्री कृष्ण राधामयी हो जाते हैं।
राधा में कृष्ण और कृष्ण में राधा नजर आती हैं। वृंदावन के राधावल्लभ मंदिर में यह नजारा आज भी जीवित हो जाता है। इस मंदिर में राधावल्लभ विग्रह के दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। यह कृष्ण का एक लोकप्रिय नाम है, श्री राधावल्ल्भलाल को कृष्ण के रूप में भी राधा के रूप में माना जाता है।
यहां हैं राधा में कृष्ण कृष्ण में राधा
राधावल्ल्भलाल मंदिर की कहानी पुराणों में भी मिलती है। माना जाता है कि भगवान विष्णु के एक उपासक होते थे
राधावल्लभ(radha ballabh) अनोखे विग्रह में राधा और कृष्ण एक ही नजर आते हैं। इसमें आधे हिस्से में श्री राधा और आधे में श्री कृष्ण दिखाई देते हैं। माना जाता है कि जो भी सारे पाप कर्मों को त्याग कर निष्कपट होकर सच्चे मन के साथ मंदिर में प्रवेश करता है सिर्फ उस पर ही भगवान प्रसन्न होते हैं और उनके दुर्लभ दर्शन उनके लिये सुलभ हो जाते हैं। लेकिन जिनके हृद्य में प्रेम और भक्ति की भावना नहीं होती वे लाख यत्न करने पर भी दर्शन नहीं कर पाते। इसी कारण इनके दर्शन को लेकर श्रद्धालुओं में भजन-कीर्तन, सेवा-पूजा करने का उत्साह रहता है। सभी जल्द से जल्द भगवान श्री राधावल्लभ को प्रसन्न कर मनोकामनाओं को पूर्ण करने का आशीर्वाद चाहते हैं।
कृष्ण भक्तों के लिये जितना महत्व उनके नाम जप का है उतना ही महत्व वृन्दावन की पवन भूमि का भी है।
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गर्मी में :- मंगला आरती : 5:00 AM
सुबह मंदिर खुलता है:- 7:00AM to 12:00PM
सांयकाल :06:30PM to 9:00PM
ठण्ड में :मंगला आरती : 5:30 AM
सुबह मंदिर खुलता है:- 7:00AM to 12:00PM
सांयकाल :06:30PM to 8:30PM