
बृज क्षेत्र वृन्दावन( vrindavan) में शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा(Raas Purnima) क्यों कहाँ जाता है?
रास पूर्णिमा(Raas Purnima)
बृज क्षेत्र वृन्दावन में, शरद पूर्णिमा को रस पूर्णिमा या रास पूर्णिमा(raas Purnima) भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन भगवान कृष्ण ने महा-रास, दिव्य प्रेम का नृत्य किया। शरद पूर्णिमा की रात को, कृष्णा के बांसुरी के दिव्य धुन को सुनने पर, वृंदावन की गोपिया पूरे रात कृष्ण के साथ नृत्य करने के लिए अपने घरों और परिवारों को छोड़ कर निधिवन में आ गयी।
और ये भी कहा जाता है कोई भी गोपी अपने शरीर के साथ नहीं आयी थी। प्रत्येक गोपी का शरीर तो घर पे ही था उनकी आत्मा श्री कृष्ण परमात्मा से मिलने गयी थी। ये मिलान भी अद्भुत था। कहा जाता है ये गोपिया कई युगो के साधु संत थे। जिनकी अभिलाषा प्रभु ने पूरी की जब उनका पूर्ण रूप से समर्पण हो गया उनके चरणों में।
वह दिन आज का ही था। भगवान कृष्ण ने प्रत्येक गोपी के साथ अपनी कई सारी कृतियों का निर्माण किया था। ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने रात को भगवान ब्रह्मा की एक रात की लंबाई तक बढ़ा दिया जो कि अरबों वर्षों के बराबर था। आज भी श्री निधिवन में वो दिव्य लीला प्रत्येक रात्रि में होती है। जिसके जीवन में ऐसा प्रेम होगा। जब जब प्रेम सभी बंधनो से मुक्त होगा जहाँ चाहत का भी होश नहीं होगा। जब चारो ओर सिर्फ प्रेम ही प्रेम होगा। तो वो पूर्ण परमात्मा उसके जीवन में जरूर आएंगे।
शरद पूर्णिमा की शुभकामनाएं
संग गोपिया राधा चली कृष्ण के द्वार
कान्हा के सांवले रंग की बिखरे छटा अपार
पूर्णिमा के उज्जवल प्रकाश मिली वो कृष्ण से
रास लीला आज होगी और नाचेगा सारा संसार
शरद पूर्णिमा की शुभकामनाएं
निधिवन प्रेम भरी रहस्यमयी जगह nidhivan is most lovable but mysteries place.
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