कौन कहता है नदियों के दोनों किनारे कभी मिल नहीं सकते हैं

कौन कहता है नदियों के दोनों किनारे कभी मिल नहीं सकते हैं

भाव वाली कविता बिहारी जी के लिए एक भक्त का प्यार

कौन कहता है नदियों के दोनों किनारे कभी मिल नहीं सकते हैं

जब वो दरिया में जा कर गिरते हैं तो खुद ही मिल जाते हैं

उम्मीद रखो जीवन में असंभव कुछ भी नहीं है

मिला नहीं मिला इस बात भी उलझ कर रह जाना जीवन नहीं है

अपनी चाहत को उस परम सच की चाहत से मिलाना है

रिझाना आए ना आए पर उनको ही रिझाना है

जब दे दिया उन बिहारी जी ने मुझ को बेहिसाब है

तो बार-बार मांगना और उसको भुला देना ये कहां का इंसाफ है

source:Twitter
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