5 मिनट में जाने :भारत के चार धाम के नाम धर्मग्रंथों के अनुसार( char dham yatra ki jankari)

5 मिनट में जाने :भारत के चार धाम के नाम धर्मग्रंथों के अनुसार( char dham yatra ki jankari)

भारत के चार धाम के नाम के बारे में बहुत से लोगों को गलतफहमी है। चार धाम के नाम पर लोग बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री का नाम जानते है। जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। स्कंद पुराण के तीर्थ प्रकरण के अनुसार चार धाम यात्रा को महत्वपूर्ण माना गया है। चार धामों के दर्शन करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं और सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ती है। ये चार धाम चार दिशाओं में स्थित है यानी उत्तर में बद्रीनाथ, दक्षिण रामेश्वर, पूर्व में पुरी और पश्चिम में द्वारिका पुरी। प्राचीन समय से ही ये चार धाम तीर्थ के रूप मे मान्य थे, लेकिन इनके महत्व का प्रचार जगत गुरु शंकराचार्य जी ने किया था।

Note:- छोटा चारधाम या चारधाम, हिन्दू धर्म के हिमालय पर्वतों में स्थित पवित्रतम तीर्थ परिपथों में से एक है। यह भारत के उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल मण्डल में उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों में स्थित है और इस परिपथ के चार धाम हैं: बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री। इनमें से बद्रीनाथ धाम, भारत के चार धामों का भी उत्तरी धाम है।

भारतीय धर्मग्रंथों में भारत के चार धाम के नाम:-

1. बद्रीनाथ,

2. द्वारका,

3. रामेश्वरम और

4. जगन्नाथ पुरी 

इन चार धाम के नाम की चर्चा चारधाम के रूप में की गई है। यह बात सत्य है कि चार धाम यात्रा पापों से मुक्त करती है, और साथ ही मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है।

क्यों बनाए गए चार धाम:-

ग्रंथों के अनुसार प्राचीन तीर्थ स्थलों पर जाने से पौराणिक ज्ञान बढ़ता है। देवी-देवताओं से जुड़ी कथाएं और परंपराएं मालूम होती हैं। प्राचीन संस्कृति को जानने का मौका मिलता है। जिससे अलग-अलग रीति-रिवाजों को जानने का अवसर मिलता है। भगवान और भक्ति से जुड़ी मान्यताओं की जानकारी मिलती है। जिसका लाभ दैनिक जीवन की पूजा में मिलता है। इसलिए चार धामों को अलग-अलग दिशाओं में स्थापित किया गया है।

तो आइये सबसे पहले आपको बताते हैं, मूल चार धाम में चार स्थलों में से तीन वैष्णव (पुरी, द्वारका और बद्रीनाथ) हैं जबकि एक शैव (रामेश्वरम) है। चार धाम के नाम में से एक बद्रीनाथ मंदिर के बारे में।

1. बद्रीनाथ मंदिर:-

यह तीर्थ बद्रीनाथ के रूप में भगवान विष्णु को समर्पित है। बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड के चमोली जनपद में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर अलकनंदा नदी के बायें तट पर नर और नारायण नामक दो पर्वत श्रेणियों के बीच स्थित है।माना जाता है इसकी स्थापना मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने की थी। 

इस मन्दिर में नर-नारायण की पूजा होती है और अखण्ड दीप जलता है, जो कि अचल ज्ञान ज्योति का प्रतीक है। यहां पर श्रद्धालु तप्तकुण्ड में स्नान करते हैं। यहां पर वनतुलसी की माला, चने की कच्ची दाल, गिरी का गोला और मिश्री आदि का प्रसाद चढ़ाया जाता है। बद्रीनाथ मंदिर के कपाट अप्रैल के आखिरी या मई के शुरुआती दिनों में दर्शन के लिए खोल दिए जाते हैं। लगभग 6 महीने तक पूजा के बाद नवंबर के दूसरे सप्ताह में मंदिर के पट फिर से बंद कर दिए जाते हैं।

प्राचीन शैली में बनाए विशाल मंदिर 15 मीटर ऊंचा है। यह मंदिर तीन भागों में बंटा हुआ है,यानी गर्भगृह, दर्शनमण्डप और सभामंडप। और मंदिर के अंदर 15 मूर्तियां स्थापित हैं, जिनमें से भगवान विष्णु की एक मीटर ऊंची काले पत्थर की प्रतिमा है।

इस मंदिर को धरती का बैकुंठ कहा जाता है। इसी वजह से यहाँ बहुत से श्रद्धालु हर साल पहुंचते हैं। माना जाता है कि यह प्रतिमा भगवान की सबसे शुभ स्वयं प्रकट मूर्तियों में से एक है।

2. द्वारिका धाम :-

तो आइये बात करते हैं चार धाम के नाम में से दूसरे स्थान पर द्वारकाधीश मंदिर के बारे में। यह मंदिर भारत के पश्चिमी तट पर अरब सागर के किनारे पर गुजरात में बसा हुआ है।

गुजरात के पश्चिमी सिरे पर समुद्र के किनारे बसी द्वारिका पुरी को चार धामों में से एक माना गया है। ये भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित तीर्थ है। ये तीर्थ पुराणों में बताई गई मोक्ष देने वाली सात पुरियों में से एक है। माना जाता है कि इसे श्रीकृष्ण ने बसाया था। स्थानीय लोगों और कुछ ग्रंथों के अनुसार असली द्वारका तो पानी में समा गई, लेकिन कृष्ण की इस भूमि को आज भी पूज्य माना जाता है। इसलिए द्वारका धाम में श्रीकृष्ण स्वरूप का पूजन किया जाता है।

यह स्थान भगवान कृष्ण का निवास स्थान था। भगवान कृष्ण के शासित राज्यों के अलावा भगवान विष्णु ने भी यहाँ शंखासुर नामक राक्षस को मारा था।

3. रामेश्वरम:-

तो आइये अब बात करते हैं,अगले चार धाम के नाम की जिसका नाम है रामेश्वरम

रामेश्वर तीर्थ तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में समुद्र के किनारे स्थित है। जो कि भगवान शिव को समर्पित है। यहां शिवजी की पूजा लिंग रूप में की जाती है। जो कि बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। यह हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से चारों ओर से घिरा हुआ एक सुंदर शंख आकार द्वीप है। माना जाता है कि भगवान राम ने ही इस रामेश्वरम् शिवलिंग की स्थापना की थी।

4. जगन्नाथ पुरी :-

तो बात करते हैं चार धाम के नाम में से चौथे धाम की अर्थात जगन्नाथ पुरी धाम की। जगन्नाथ पुरी मंदिर ओडिशा राज्य के शहर पूरी में स्थित है। यह वैष्णव सम्प्रदाय का मंदिर है, जो भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है।

जगन्नाथ शब्द का अर्थ है, जगत के स्वामी जगन्नाथ पुरी मंदिर में मुख्यतः तीन देवता विराजमान हैं। भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बल भद्र और उनकी बहन सुभद्रा। इन तीनों की आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया को तदनुसार लगभग। जून, जुलाई माह में रथ यात्रा आयोजित होती है। ये तीर्थ पुराणों में बताई गई 7 पवित्र पुरियों में एक है। यहां हर साल रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। इस आयोजन में दुनियाभर से भगवान श्रीकृष्ण के भक्त आते हैं। यहां मुख्य रूप से भात का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

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