किसने बनवाया था अयोध्या में हनुमानगढ़ी(hanumangarhi) का मंदिर ?

किसने बनवाया था अयोध्या में हनुमानगढ़ी(hanumangarhi) का मंदिर ?

मान्यता है कि भगवान राम जब लंका जीतकर अयोध्या लौटे, तो उन्होंने अपने प्रिय भक्त हनुमान को रहने के लिए यही स्थान हनुमानगढ़ी(hanumangarhi) दिया. साथ ही यह अधिकार भी दिया कि जो भी भक्त यहां दर्शन के लिए अयोध्या आएगा, उसे पहले हनुमान का दर्शन-पूजन करना होगा.

किसने बनवाया:-

17वीं शताब्दी में हनुमानगढ़ी(hanumangarhi) एक टीला रह गया था। हनुमानजी की छोटी मूर्ति जो आजकल फूलों से ढकी हुई बड़ी मूर्ति के आगे रखी है, एक पेड़ के नीचे पूजी जाती थी। बाबा अभयराम दास जी यहां रहते थे। उन्हीं दिनों नवाब शुजाउद्दौला (1739-1754) का पुत्र बीमार हो गया। हकीम व वैद्य सब हार गये और रोग बढ़ता ही गया। नवाब परेशान हो गये तो हिंदू मंत्रियों ने बाबा अभयराम की महत्ता व उन पर हनुमत कृपा के बारे में बताया। नवाब मान गये।

मंत्रियों ने आकर बाबा से बड़ी अनुनय-विनय की तब उन्होंने फैजाबाद आकर नवाब के बेटे को देखा। अभयराम ने कुछ मंत्र पढ़कर हनुमानजी के चरणामृत का जल छिड़का। जिसके बाद वह उठकर बैठ गया। थोड़े ही दिनों में वह ठीक भी हो गया। नवाब बहुत प्रसन्न हुए, बाबा से बोले- हम आपको कुछ देना चाहते हैं, बाबा बोले- हम साधु हैं हमें कुछ नहीं चाहिए। नवाब बार-बार अनुरोध करने लगे तो बाबा ने कहा कि हनुमान जी की कृपा से यह ठीक हुए हैं, आपकी श्रद्धा है तो हनुमानगढ़ी बनवा दीजिए।

आज भी हनुमानगढ़ी में कायम हैं पुरानी परंपराएं :-

कुछ साल पहले हनुमानगढ़ी के महंत ज्ञानदास के आवास पर रोजा इफ्तार कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मुसलमान पहुंचे थे और इसकी खबर सुर्खियों में आयी थी। अयोध्या के इतिहास में पहली बार ऐसा आयोजन किया गया था। इसी के बाद अयोध्या के प्रमुख मुसलिम नेता सादिक अली के घर पर ईद मिलन समारोह में बड़ी संख्या में साधु और महंत शामिल हुए।

Leave your comment
Comment
Name
Email