
Bhikari Bala – ओडिशा के भजन सम्राट और उनकी अमर भक्ति धारा
भारतीय भक्ति संगीत का इतिहास बहुत विशाल और गहन(गहरा ) है। भारत की अलग अलग भाषाओं और संस्कृतियों में कई महान संत और गायक हुए हैं जिन्होंने अपनी भक्ति-रचनाओं से लोगों के हृदय (दिलो )को छू लिया। एक नाम है Bhikari Bala का, जिन्हें पूरे ओडिशा और भारत में “भजन सम्राट” के रूप में जाना जाता है। इन्हीं महान हस्तियों में से Bhikari Bala का गायन(भक्ति गीत) केवल संगीत नहीं था, बल्कि वह ईश्वर से जुड़ने का माध्यम था। उनके भजन आज भी मंदिरों, त्योहारों और घर-घर में गाए जाते हैं।
प्रारंभिक जीवन(Bhikari Bala Life & family):-
Bhikari Bala का जन्म 1929 में ओडिशा के जगतसिंहपुर ज़िले के सोबला गाँव में हुआ। वे एक साधारण परिवार से थे। बचपन से ही उनका झुकाव भक्ति और संगीत की ओर था। पारिवारिक स्थिति बहुत सशक्त नहीं थी, लेकिन उनकी स्वर माधुरी ने आसपास के लोगों को प्रभावित करना शुरू कर दिया।
बचपन से ही वे लोक गीत, भक्ति गीत और मंदिरों में गाए जाने वाले कीर्तन सुनते और गुनगुनाते थे। यही संस्कार आगे चलकर उन्हें ओडिशा का भजन सम्राट बना गए। परिवार में उनके माता-पिता, रामचंद्र बाल और गेलहरनी देवी, और उनके बड़े सौतेले भाई, धनेश्वर शामिल थे। उनके माता-पिता की मृत्यु बचपन में ही हो गई थी, और उनका पालन-पोषण मुख्यतः उनके सौतेले भाई और भाभी ने किया। उनके दो बेटे और एक पत्नी थीं, जो उनकी मृत्यु के बाद भी जीवित रहे।
आध्यात्मिक यात्रा:-
Bhikari Bala का जीवन ईश्वर और विशेष रूप से भगवान जगन्नाथ की भक्ति से गहराई से जुड़ा रहा। ओडिशा की संस्कृति में भगवान जगन्नाथ की महिमा सर्वविदित है, और भक्ति गीतों के माध्यम से यह परंपरा और भी गहरी होती है।
उन्होंने हजारों भजन गाए और रिकॉर्ड किए, जिनमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा, कृष्ण और राधा की महिमा का गान किया। उनके भजन गाते समय लगता है मानो एक भक्त सीधे ईश्वर से संवाद कर रहा हो।
Bhikari Bala के प्रमुख भजन और उनका भावार्थ:-
1. Ki Labha Thai Dui Aakhi
यह उनका सबसे प्रसिद्ध भजन है। इसमें उन्होंने कहा कि यदि आँखें भगवान जगन्नाथ का दर्शन न करें तो उन आँखों का कोई अर्थ नहीं।
भावार्थ: जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य प्रभु के चरणों का दर्शन करना है।
2. Re Pitavasa Tora
इस भजन में भगवान जगन्नाथ को पीताम्बरधारी कहकर पुकारा गया है।
भावार्थ: प्रभु के चरणों में सिर झुकाना ही परम सुख है।
3. Madhabanku Bhuligalu
इस भजन में इंसान की भूल का वर्णन है, जब वह संसार के मोह में पड़कर भगवान माधव (कृष्ण) को भूल जाता है।
भावार्थ: ईश्वर को भूलना ही सबसे बड़ी भूल है।
4. Aaji Mun Dele To Dhamare
भावार्थ: भक्त कहता है कि आज मैंने सबकुछ प्रभु को अर्पण कर दिया है, अब मेरा अस्तित्व केवल उनके चरणों में है।
5. Jaya Jagannath Ho
यह भजन ओडिशा और पुरी जगन्नाथ धाम में आज भी सबसे लोकप्रिय है। इसमें केवल भगवान जगन्नाथ की महिमा का गुणगान है।
जीवन के संघर्ष और सादगी:-
Bhikari Bala का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। उन्होंने गरीबी में जीवन बिताया और अधिक भौतिक साधन नहीं जुटा पाए।
लेकिन उनकी सबसे बड़ी पूँजी थी उनकी भक्ति और संगीत। वे सादगीपूर्ण जीवन जीते रहे, और कभी भी संगीत को केवल व्यवसाय नहीं बनने दिया।
उनकी आवाज़ में इतनी आत्मीयता थी कि सुनने वाले सीधे भक्ति रस में डूब जाते थे। यही कारण है कि उन्हें भजन सम्राट की उपाधि दी गई।
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योगदान और सांस्कृतिक प्रभाव:-
Bhikari Bala ने न केवल ओडिशा की भक्ति परंपरा को समृद्ध किया, बल्कि भारतीय भक्ति संगीत को भी नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया।
- उन्होंने हजारों भजन रिकॉर्ड किए, जो आज भी विभिन्न प्लेटफ़ॉर्म्स पर उपलब्ध हैं।
- उनके भजन मंदिरों और धार्मिक आयोजनों में अनिवार्य रूप से गाए जाते हैं।
- उन्होंने भक्ति संगीत को लोगों की आत्मा से जोड़ दिया।
आज की पीढ़ी के लिए Bhikari Bala:-
आज के डिजिटल युग में भी Bhikari Bala की भक्ति धारा जीवित है।
- YouTube पर उनके भजन लाखों लोगों द्वारा सुने जाते हैं।
- Spotify, Apple Music और Gaana जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स पर भी उनके भजन उपलब्ध हैं।
- ओडिशा की युवा पीढ़ी उनके भजनों को सुनकर अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ती है।
Bhikari Bala केवल एक गायक नहीं थे, वे भक्ति संगीत के साधक थे। उनका जीवन सादगी, भक्ति और समर्पण का आदर्श उदाहरण है। उन्होंने दिखाया कि संगीत केवल मनोरंजन नहीं बल्कि ईश्वर से जुड़ने का माध्यम है।
आज भी उनके भजन सुनते ही मन में भक्ति और शांति की अनुभूति होती है। यही कारण है कि उन्हें सच्चे अर्थों में “भजन सम्राट” कहा जाता है।
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