
अक्षय तृतीया 2025: जानिए इसका शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि
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अक्षय तृतीया क्या है?
अक्षय तृतीया, जिसे आखा तीज भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। “अक्षय” का अर्थ है “जिसका कभी क्षय नहीं होता” अर्थात् जो अविनाशी है। यह तिथि सभी कार्यों के लिए अबूझ मुहूर्त मानी जाती है, यानी किसी भी शुभ कार्य के लिए पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती।
अक्षय तृतीया 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त:-
📅 तारीख: 30 अप्रैल 2025, बुधवार
🕰️ पूजा मुहूर्त: सुबह 05:43 से दोपहर 12:27 तक (स्थानीय समयानुसार भिन्न हो सकता है)
📿 पारणा समय: अगले दिन सूर्योदय के बाद
अक्षय तृतीया को क्या-क्या हुआ था?:-
अक्षय तृतीया का दिन भारतीय संस्कृति में अत्यंत शुभ और चमत्कारी घटनाओं से भरा हुआ है। यह एक ऐसा दिन है जब “अक्षय पुण्य”, यानी जो कभी खत्म नहीं होता, अर्जित किया जाता है।
🔱 पौराणिक घटनाएं:
- 🕉 त्रेता युग का आरंभ:
इसी दिन से त्रेता युग की शुरुआत मानी जाती है, जिसमें भगवान श्रीराम का जन्म हुआ। - 🕊 गंगा का पृथ्वी पर अवतरण:
राजा भगीरथ की तपस्या के फलस्वरूप मां गंगा इसी दिन धरती पर अवतरित हुईं। - 🙏 अक्षय पात्र की प्राप्ति:
महाभारत में, युधिष्ठिर को सूर्यदेव से अक्षय पात्र प्राप्त हुआ था, जिससे कभी भोजन खत्म नहीं होता था। - ⚔️ भगवान परशुराम का जन्म:
भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी का जन्म इसी दिन हुआ। - 📖 वेदव्यास और गणेश जी द्वारा महाभारत लेखन की शुरुआत:
इसी दिन महर्षि वेदव्यास ने गणेश जी से महाभारत लिखवाना शुरू किया था। - 💰 कुबेर को खजाने की चाबी:
इस दिन भगवान शिव ने कुबेर को धन और खजाने का अधिपति नियुक्त किया। - 🪔 सोना-चांदी खरीदने की परंपरा:
मान्यता है कि इस दिन किया गया हर शुभ कार्य कई गुना फल देता है – इसलिए सोना खरीदना अक्षय लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।
अक्षय तृतीया की पूजा विधि:
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और शुद्ध वस्त्र पहनें।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं।
पीले फूल, पीला चंदन, अक्षत, तुलसी पत्र, मिश्री और धूप-दीप से पूजन करें।
श्री विष्णुसहस्रनाम या श्रीसूक्त का पाठ करें।
दान का विशेष महत्व है – विशेषकर सोना, अनाज, वस्त्र, जल से भरे घड़े और गायों को भोजन देना शुभ माना जाता है।
श्री वृन्दावन धाम में श्री ठाकुर बांके बिहारी जी के चरण दर्शन का बहुत महत्व है जो की साल में एक चरण दर्शन होते है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:-
अबूझ मुहूर्त: शादी, गृह प्रवेश, नई दुकान या व्यापार की शुरुआत के लिए श्रेष्ठ दिन।
सोने की खरीदारी: इस दिन सोना खरीदना बेहद शुभ माना जाता है, जिससे धन में अक्षय वृद्धि होती है।
कृषि परंपरा: किसान इस दिन से नई फसल की बुवाई की शुरुआत करते हैं।
व्यापारियों के लिए शुभ दिन: यह दिन नए व्यापारिक खाता-बही की शुरुआत के लिए भी अत्यंत शुभ है।
लोक मान्यताएं और परंपराएं:-
- यह दिन पितृ तर्पण और गौ सेवा के लिए भी अति उत्तम है।
- दक्षिण भारत में इस दिन अन्नदान और वस्त्र दान को विशेष महत्व दिया जाता है।
- कई भक्त श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने का प्रतीकात्मक रूप से इंतजार इसी दिन करते हैं।
क्या करें और क्या न करें:-
क्या करें:
- भगवान विष्णु व लक्ष्मी जी की पूजा
- जरूरतमंदों को दान
- गऊ माता की सेवा
- तिल, गुड़, सत्तू का वितरण
❌ क्या न करें:
- नकारात्मक विचार या विवाद
- शराब या मांसाहार
- घर में अपवित्रता
- वाणी पर नियंत्रण न खोएं
Banke Bihari Charan Darshan: बांके बिहारी जी के चरण दर्शन अक्षय तृतीया पर ही क्यों होते हैं? जानें रहस्य
क्या आप जानते हैं?
इस पर्व पर मंदिर में भारी संख्या में भक्त बांके बिहारी जी के चरण दर्शन के लिए आते हैं, क्योंकि बांके बिहारी जी के चरण दर्शन साल में सिर्फ एक बार यानी अक्षय तृतीया पर ही होते हैं. पूरे साल बिहारी जी के चरण पोशाक से ढके रहते हैं. कुछ लोग सोचते हैं कि आखिर ऐसा क्यों? ऐसे में चलिए जानते हैं कि अक्षय तृतीया पर ही बांके बिहारी जी के चरण दर्शन क्यों होते हैं.
अक्षय तृतीया पर क्यों होते हैं चरण दर्शन?
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार करीब 500 साल पहले निधिवन में स्वामी हरिदास की भक्ति और साधना से प्रसन्न होकर बांके बिहारी जी प्रकट हुए. स्वामी जी ठाकुर जी की सेवा में लगे रहते थे. प्रभु की सेवा करते समय उनको आर्थिक संकट का सामना करना पड़ गया था. एक बार सुबह में स्वामी जी उठे और उन्हें ठाकुर जी के चरणों में एक स्वर्ण मुद्रा प्राप्त हुई थी. फिर रोजाना स्वामी जी को ठाकुर जी के चरणों से स्वर्ण मुद्रा मिलने लगी और इसी मुद्रा से वे प्रभु की सेवा और भोग का इंतजाम किया करते थे.

प्राप्त होती थी स्वर्ण मुद्रा
जब स्वामी जी को पैसों की किल्लत होती थी तो ठाकुर जी के चरणों से स्वर्ण मुद्रा प्राप्त हो जाती थी. इसलिए रोजाना बांके बिहारी जी के चरण के दर्शन नहीं कराए जाते थे और स्वामी जी बांके बिहारी के चरणों को पोशाक से ढके रहते थे. तभी से पूरे साल उनके चरण ढके रहने की परंपरा शुरू हो गई और साल में एक बार ही अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर प्रभु के चरण दर्शन होते हैं. source: tv9hindi
विशेष परंपरा – “झांकी दर्शन”
- अक्षय तृतीया के दिन श्री बाँके बिहारी मंदिर, वृंदावन में झूला दर्शन या विशेष झांकी होती है।
- इस दिन ठाकुर जी को विशेष फूलों की सजावट, गुलाब जल स्नान, और रसपूर्ण भोग अर्पित किया जाता है।
आध्यात्मिक लाभ
जो व्यक्ति अक्षय तृतीया के दिन श्रद्धा भाव से पूजा, उपवास और दान करता है, उसे अक्षय पुण्य प्राप्त होता है और उसके पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह दिन आत्मशुद्धि, तपस्या और ईश्वर भक्ति के लिए श्रेष्ठ है।
Spiritual Quotes for Akshaya Tritiya (अक्षय तृतीया पर आध्यात्मिक सुविचार):
- “जो कार्य अक्षय तृतीया पर शुरू होता है, वह कभी क्षय नहीं होता — बस श्रद्धा और विश्वास की आवश्यकता है।”
- “अक्षय तृतीया वह दिवस है जब प्रकृति भी पुण्य में सहभागी बनती है – शुभ कर्मों की भूमि पर बोया गया बीज, अक्षय फल देता है।”
- “श्रीहरि की कृपा से जिस दिन प्रारंभ हो, वह दिन सदा शुभ होता है – और अक्षय तृतीया तो स्वयं ही हरि की इच्छा है।”
- “जैसे गंगा का अवतरण अक्षय था, वैसे ही आज के दान, सेवा और भक्ति से तुम्हारा पुण्य भी अविनाशी बन सकता है।”
- “बाँके बिहारी के चरणों में जो प्रेम आज बहता है, वह अक्षय है — क्योंकि वह राधा रानी के हृदय से निकला है।”
Motivational/Inspirational Thoughts in Hindi (अक्षय तृतीया के लिए प्रेरणादायक विचार):
- “अक्षय तृतीया एक अवसर है — शुभ संकल्प लेने का, भक्ति से जीवन को भरने का और सच्चे अर्थों में ‘अक्षय’ बनने का।”
- “आज बोया गया एक शुभ विचार, कल बनेगा अक्षय चरित्र। यही अक्षय तृतीया की शक्ति है।”
- “दान, धर्म, सेवा और सच्ची भक्ति – यही चार अक्षय स्तंभ हैं जीवन के।“
- “जिस दिन हृदय निर्मल हो जाए, वही दिन हर दिन अक्षय तृतीया बन जाता है।”
- “सोना खरीदिए या न खरीदिए – पर आज एक अच्छा कर्म अवश्य ‘कमाईए’। यही सच्चा निवेश है।“
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