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श्री महंत नारायण गिरी जी(Shri Mahant NarayanGiri Ji)
भारतवर्ष भूमि संतों और महंतों से धन्य भूमि है जहां पर समय-समय पर संतों ने खोती हुई संस्कृति को फिर से उजागर किया है। और भटक हुए को रास्ता दिखाया है। कहते हैं भारत ही एक ऐसा विश्व है, जहां पर संत और महंत अपनी कृपा दृष्टि से न जाने कितने बिखरे जीवन को सुधारते हैं। और जीवन जीने के लिए नयी दिशा और उम्मीद को जागते है। संत जन ,महंत जन और ऋषि गण कभी अपनी महिमा नहीं गाते बल्कि उनका व्यक्तित्व ऐसा होता जो भक्त जन को उनकी महिमा का गुणगान गाने के लिए प्रेरित करता है। उनका हर एक कार्य भगवान के लिए और उनसे जोड़ने के लिए होता है।
श्री दूधेश्वरनाथ महादेव मठ मंदिर अनेक सिद्ध संतो की तपस्थली रही है। और इस मठ के महान सिद्ध महंतो की परम्पार पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। इसी तरीके से श्री महंत नारायण गिरी जी 16वे श्री दूधेश्वरनाथ महादेव मठ मंदिर के पीठाधीश्वर है। उनके अनंत गुणों की खान हर जगह सुनने और देखने को मिलती है। श्री महंत नारायण गिरी जी श्री दूधेश्वर शिव मंदिर के मठ के महंत है जो परंपरा अनुसार इस गद्दी पर बैठे हैं और उन्होंने बहुत ही श्रद्धा भाव से सब कुछ संभाला है। महादेव की अनंत भक्ति भाव से कितने श्री दूधेश्वर भक्तों का जीवन सवार है। और जन कल्याण के सेवा कार्यो में हमेशा आगे रहते है और बहुत महत्पूर्ण भूमिका निभाते है।
जन्म: 5/April/1960 ऐतिहासिक सिद्धिपीठ श्री दूधेश्वरनाथ महादेव मठ मंदिर के 16th पीठाधीश्वर श्री महंत नारायण गिरी जी (Mahant NarayanGiri ji) है . दिव्य स्वभाव से सरल, सहज, मृदुभाषी और हमेशा मुस्कुराते रहते है। और मानवता के अनन्त मार्गदर्शन के लिए इस पवित्र मार्ग को चुना है आये जानते है उनके अद्भुत जीवन के बारे में।
जन्म स्थान और परिवार :-
श्री महंत नारायण गिरी जी के पिता और माता को श्री महंत नारायण गिरी जी शिव जी के दिव्य आशीर्वाद के रूप में मिले। इनका जन्म राजस्थान में हुआ। इनका बचपन भी अद्भुत रहा जिस उम्र बचपन में लोग खेलने में निकाल देते है, उस उम्र में इन्होने सन्यास लेकर कश्मीर से कन्याकुमारी तक पद यात्रा की। और श्री महंत जी ने जन जीवन को बहुत नज़दीक से देखा, समझा और जाना है। उन्होंने अपने पिता जी से मूल शिक्षा प्राप्त की। ज्ञान और भक्ति के सागर में गोते लगाकर समाज के निजी संस्कृति ज्ञान पर शोध किया। जिसे जन कल्याण हो सके हमारी भावी पीढ़ी सही राह पे चल सके। सनातन भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए प्रचार प्रसार के लिए हमेशा समर्पित भाव रखते है। और ये कार्य वो निरंतर करते चले आ रहे है। श्री महंत जी जनपद के सर्वाधिक चर्चित व आदरणीय धार्मिक विभूति हैं ।
श्री महंत जी आदर्श, सत्य -निष्ठ ,धर्म ग्रन्थ को जाने वाले, सरल, सहज मृदुभाषी संत है ।
श्री महंत नारायण गिरी जी महाराज का अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठा अनुकरणीय एवं वंदनीय है।
श्री महंत जी महान कर्मयोगी है निस्वार्थ भाव से कर्म करते जाना और फल की चिंता ना करना इनका स्वभाव है।
मठ के उत्थान में दिन रात लगे रहने वाले श्री महंत जी की मेहनत व लगन के कारण ही किसी समय अस्त -व्यस्त अवस्था में पहुंच गए मठ को फिर से दिव्यत्ता से भरा जा सका ।
मठ का पुनः निर्माण करवाया और उससे श्रद्धा विश्वास की मशाल कायम की। इसीलिए तो भक्त निर्माण पुरुष के नाम से भी पुकारते हैं ।
महाराज जी ने जीवन को निकट से देखा है जाना है और अपने जीवन से वर्तमान व भावी पीढ़ी को सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान करते है ।
राजस्थान के एक छोटे से गांव से निकलकर सिद्ध पीठ श्री दूधेश्वर देव मठ मंदिर के पीठाधीश्वर पद पर आसीन होने तक श्री महंत नारायण गिरी जी की जीवन यात्रा अनुकरणीय है
श्री महंत नारायणगिरी जी के उपलब्धियां :-
उनकी सक्रिय भूमिका में संचालित विभिन्न संस्थाएं हैं जो इस प्रकार है :-
संरक्षक:-
अंतर्राष्ट्रीय क्षत्रिय राजपूत संघ भारत
कल्पतरू सेवा संस्थान औरंगाबाद रोड, मथुरा
अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद, गाजियाबाद
परशुराम सेवा दल, गाजियाबाद
धर्मार्थ शिव चिकित्सा समिति, गाजियाबाद
प्राइवेट चिकित्सा वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन(Organisation) गाजियाबाद
शिव मंदिर समाधि उत्तम गिरी जी आरोन राघवगढ, गुना मध्य प्रदेश
अध्यक्ष:-
महामाया जगत जननी कुलदेवी आरोग्यधाम मडवा छपरा शिवानी शिवनी मध्य प्रदेश
दुग्धेश्वर मंदिर जीर्णोद्धार समिति तिलवाड़ा बाड़मेर राजस्थान
राधा कृष्ण गौशाला सामना नगला धौलाना गाजियाबाद
हनुमान मंदिर रेलवे रोड सहारनपुर उत्तर प्रदेश
ज्वाला गिरी आश्रम माधव चौक मेरठ उत्तर प्रदेश
शिव मंदिर फेज-१ मोती बाग नई दिल्ली
श्री कृपानंद आश्रम धूम मानिकपुर गाजियाबाद
शिव मंदिर फर्रुखाबाद गाजियाबाद
हनुमान मंदिर चौपला गाजियाबाद
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष:-
अखिल भारतीय हिंदू महासभा दिल्ली
केंद्रीय मंत्री :-
भारतीय साधु समाज नई दिल्ली
इन्होने श्री दूधेश्वर वेद विद्यापीठ की स्थापना कर स्नातक वैदिक संस्कृति के मूल चारों वेदों के अध्ययन अध्यापन के लिए दक्षिण के आचार्य नियुक्त किए हैं यह बहुत बड़ी पहल है जिससे युवा पीढ़ी और आने वाले भावी युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति का प्रचार प्रसार कर सकेंगे.
मंदिर:-
श्री दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर ;-अभी श्री दूधेश्वरनाथ महादेव मठ मंदिर के 16th पीठाधीश्वर श्री महंत नारायण गिरी जी है | Dudheswar Nath Mandir
श्री महंत जी द्वारा सेवा प्रकल्प :-
श्रीमहंत रामगिरी औषधालय:-
साधनहीन मनुष्यों को नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा सुलभ कराने के उद्देश्य से श्रीमहंत नारायण गिरी जी महाराज ने अपने गुरूजी की पावन स्मृति में ‘श्रीमहंत रामगिरी औषधालय ‘की स्थापना की |
सन्त निवास:-
अभ्यागत साधुओं के विश्राम के लिये मंदिर परिसर में गौशाला के पास बरामदे में रुकने की व्यवस्था पूज्य श्रीमहंत नारायण गिरी जी ने बना रखी है |
अन्नपूर्णा भंडारा:-
नित्य प्रति साधु-महात्माओं ,अभ्यागतों के लिये भंडार से प्रात:चाय-नाश्ता ,मध्यान्ह भोजन ,सांयकालीन चाय-नाश्ता व रात्रि भोजन की व्यवस्था नि:शुल्क मंदिर समिति की ओर से की जाती है |
सिद्ध समाधि स्थल:-
श्री दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर में गर्भगृह के बराबर में ही मंदिर के सिद्ध –संतों की समाधियाँ स्थित हैं | इनमें से अनेक सिद्ध- संतों ने जीवित समाधि ली हुई है | इन समाधियों की नित्य पूजा-अर्चना करने से अनेकों चमत्कार होते रहते है |
गौशाला:-
श्री दूधेश्वर नाथ मठमंदिर के प्रथम ज्ञात श्रीमहंत वेणी गिरी जी महाराज के समय से ही एक दिव्य गौशाला स्थापित की गई थी | स्थापना के समय इस गौशाला में कैला गाँव की लम्बो नस्ल की उन गायों को रखा गया था ,जिनके थानों से टीले पर दूध गिरता था और जो भगवान् दूधेश्वर के कलियुग में प्राकट्य का प्रमुख कारण बनीं थी |
इन सेवाओं से जनकल्याण होता है। यू तो महंत जी निरंतर सेवा भाव से ओत प्रोत रहते है। जब भगवान ने हमें सेवा योग्य बनाया हो तो हमें दान सेवा जरूर करनी चाहिए। जो जरूरत मंद दान सेवा लेते है वो तो आनंद को प्राप्त होता ही है साथ ही जो करता है उनको आशीर्वाद और दुआ मिलती है यह हमारी विरासत(Hamari virasat) की छोटी सी कोशिश है जो हमारे भारतीय संतों की, महंतों की महापुरुषों की महानता को आने वाली पीढ़ियों को दिखा सके। वह पढ़ सके कि वह जिस भूमि पर रहते हैं वहां के संत महापुरुष ने कितने त्याग किए हैं उनके जीवन को भारतीय संस्कृति से जोड़ने के लिए आध्यात्मिकता से जोड़ने के लिए। आध्यात्मिकता हमारे जीवन का प्राण है जिससे हमारे जीवन सही दिशा की ओर अग्रसर होता है। हमारी विरासत भारत के सभी संतो के बारे में लिस्टिंग कर रही है ,जिससे कि वर्तमान और आने वाली भावी पीढ़ियों को आसान से अपने संत महापुरुषों के बारे में जान सकें और अपना हृदय परिवर्तन कर सकें। सभी काम करते हुए ईश्वर को न भूले।