मथुरा का प्राचीन केशवदेव मंदिर(Ancient Keshavadev Temple)
श्रीकृष्ण जन्मस्थान के निकट बना प्राचीन केशवदेव मंदिर यूं तो विश्व पटल पर कई मायनों में प्रसिद्ध है किन्तु कुछ वर्षो पूर्व ही श्रीकृष्ण जन्मस्थान में हुए नये केशवदेव मंदिर के निर्माण से इस पुराने केशवदेव मंदिर की प्रसिद्धी लुप्त होती जा रही है।
इस मंदिर में वैसे तो वर्ष पर्यन्त पडऩे वाले सभी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते हैं किन्तु बंसत पंचमी पर लगने वाले छप्पन भोग इस मंदिर को अनोखी छटा प्रदान करते है। इस दिन लाखों श्रद्धालु इस मंदिर के दर्शन करते है। विदेशी भक्तों के लिए रंग भरनी एकादशी पर गताश्रम विश्राम घाट से निकलने वाली ठाकुर केशव देव की सवारी मुख्य आकर्षक का केन्द्र बनती है जो मल्लपुरा स्थित केशवदेव मंदिर पहुंचकर सम्पन्न होती है। छोटी दीपावली अर्थात नरक चौदस के दिन इस मंदिर में दीपोत्सव का आयोजन भी किया जाता है।
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प्राचीन केशवदेव मंदिर(Ancient Keshavadev Temple) के बारे में :-
यूं तो साल के 365 दिनों में से 364 दिनों में ठा. केशवदेव देव का चतुभुजी रूप में दर्शन किया जाता सकता है
यदि आपको ठा. केशवदेव के चौबीस अवतारों के दर्शन करने हो तो आप केवल अक्षय तीज पर ही उनके दर्शन कर सकते हैं। इस दिन भी लोगों में दर्शन करने की होड़ लगी रहती है।
श्रीकृष्ण का जन्म सप्तमी को मानते है :-
कुछ लोगों के लिए एक आश्चर्य की बात यह भी है कि पूरे विश्व में जन्माष्टमी पर्व अष्टमी की रात्रि को अर्थात नवमी को मनाया जाता है किन्तु श्रीकृष्ण के जन्मस्थान अर्थात मल्लपुरा के निवासी श्रीकृष्ण का जन्म सप्तमी की रात्रि को अर्थात अष्टमी में मनाते है।
पोतरा कुण्ड:-
केशवदेव मंदिर( Keshavadev Temple) के निकट बना पोतरा कुण्ड इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि यहां श्रीकृष्ण के गोकुल जाने के बाद मथुरावासियों ने उनके शुद्धि स्नान के लिए इस कुण्ड का प्रयोग किया था।