छोटी देव काली जी का मंदिर

छोटी देव काली जी का मंदिर

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Description

दरबार में पूरी होती है हर अरदास

यह मंदिर अयोध्या में नया घाट मार्ग पर गली के अन्दर स्थित है। मान्यता के अनुसार जब भगवान श्री राम विवाह के उपरान्त जब सीता जी के साथ अयोध्या आये तो वे अपने साथ गिरिजा देवी की मूर्ति लाये थे। जिसे अयोध्या के राजा दशरथ ने भव्य मंदिर निमार्ण के साथ इस मूर्ति को मंदिर में स्थापित करवाया। वर्तमान में इस मंदिर में काली जी मूर्ति स्थापित है जिसे छोटी देवकाली के रूप में जाना जाता है। दिव्य कला कुंज- यह मंदिर दिव्य काला जी महराज के द्वारा स्थापित किया गया था। अयोध्या के अन्य मंदिरों की भांति  इस मंदिर में भी भगवान सियाराम तथा लक्षमण की विग्रह गर्भग्रह में स्थापित है। रोज शाम को 7 बजे से शाम 9 बजे के मध्य रोज यहां भक्ति गीतों के मध्य राम चरित मानस का पाठ नियमिति रूप से किया जाता है। रामनवमी, राम विवाह तथा जानकी नवमी को भव्यता से यहां मनाया जाता है। अयोध्या की नगर देवी के रूप में स्थापित मां देवकाली के प्रति नगरवासियों के साथ ही आसपास के कई जिले के लोगों का भी अटूट विश्वास है।

लक्ष्मीस्वरूपा माता सीता जी :-

लक्ष्मीस्वरूपा माता सीता जी नित्य निज निवास कनक भवन से आकर माँ  छोटी देवकाली का पूजन करती थीं.  ग्राम देवी या कुलदेवी की आराधना के फलस्वरूप ही सीता जी को उन्हें भगवान राम जैसा सुयोग्य वर मिला. उसी मान्यता की आस्था आज भी जीवित है. छोटी देवकाली के दर्शन मात्र को दूर दराज़ से नव वधुएँ यहाँ आज भी उत्साह से आती हैं और माँ का आशीर्वाद सुयोग्य वर के रूप में पाती हैं.  छोटी देवकाली मन्दिर के महत्व का उद्धरण स्कन्द पुराण और रुद्रयामल में मिलता है.

स्कन्द पुराण और रुद्रयामल :-

छोटी देवकाली मन्दिर के महत्व का उद्धरण स्कन्द पुराण और रुद्रयामल में मिलता है.  पौराणिक आख्यानों में अत्रि संहिता के मिथिला खंड में मिथिला की ग्राम देवी के रूप में उनका उल्लेख है । महर्षि वेदव्यास ने रुद्रयामल तंत्र व स्कंदपुराण में ईशानी देवी के नाम से छोटी देवकाली मंदिर का वर्णन किया है।

स्कंदपुराण में ‘विदेह कुलदेवी च सर्वमंगलकारिणी श्लोक में इसका उल्लेख है।

इस श्लोक में विस्तार से बताया कि इन सर्वमंगलकारिणी, स्कंदमाता, शिवप्रिया भवानी का पूजन करने से समस्त प्रकार के इष्ट पूरे होते हैं। रुद्रयामल तंत्र में श्री सीता द्वारा प्रतिदिन छोटी देवकाली मंदिर में पूजन का उल्लेख हैं।

इतिहासकारों, दार्शनिकों और पर्यटकों:-

कई इतिहासकारों, दार्शनिकों और पर्यटकों ने भी इसकी महिमा का बखान अपने लेखों में किया है. यह मन्दिर फैजाबाद अयोध्या मार्ग पर हनुमान गढ़ी से आगे डाक खाने के पास गली में स्थित है.  मन्दिर की भीतरी दीवालों पर लगे शिलापटों पर माँ की आरती व चालीसा अंकित हैं जो इस मन्दिर की खूबसूरती को और बढ़ा देती हैं. मन्दिर परिसर में अन्य छोटे मन्दिर भी हैं. यह मन्दिर कनक भवन के ईशान कोण में स्थापित है.

1051 बत्ती की भव्य आरती:-

चैत्र नवरात्र, आषाढ़ नवरात्र, आश्विन नवरातोत्सव में यहाँ नित्य 1051 बत्ती की भव्य आरती का आयोजन होता है. इसके अलावा वसंत पंचमी, जानकी जन्मोत्सव, कार्तिक सुदी द्वितीया के अवसर पर सप्तसती पाठ, अखण्ड कीर्तन, कन्या बरुआ भोज, भंडारा आदि का विशेष आयोजन होता है.

माँ का विगृह :-

मन्दिर के गर्भ गृह में शेर पर सवार माता देवकाली की सिन्दूरी वर्ण की विगृह मुख्य रूप से विराजमान हैं. मन्दिर परिसर के  परिक्रमा क्षेत्र में 8 देवियों के भी विभिन्न स्वरुप स्थापित हैं. जिससे एक ही जगह माता देवकाली समेत 9 देवियों का दर्शन लाभ मिलता है.

भोग/ पूजा विधि :-

माता को बाल भोग के समय नित्य फल, मिष्ठान, मेवा का भोग लगाया जाता है. दोपहर और शाम को राजभोग का भोग लगाया जाता है. पंचोच्चार विधान से जल, सिन्दूर, अक्षत, पुष्प, माला, नैवेद्य आरती से पूजा अर्चना की जाती है,

आरती :-

शीत काल में सुबह 6:30 बजे मंगला आरती के साथ मन्दिर के कपाट खुलते हैं, 11 बजे भोग आरती के पश्चात भोग लगाया जाता है, संध्या काल में 4 बजे बाल भोग आरती होती है, सायं 7:30 बजे आरती कर के 9 बजे मन्दिर के कपाट बन्द कर दिए जाते हैं. ग्रीष्म काल में प्रातः आधा घंटे पहले मन्दिर  के द्वार खुलते हैं और रात्री में आधा घंटे देर से बन्द होते हैं.

अयोध्या में आज भी ये परंपरा विद्यमान है। मां देवकाली को उमा, कात्यायनी, गौरी, कल्याणी, दैत्यमर्दिनी, दुर्गति नाशिनी, दुर्गा, शंकर प्राणवल्लभा,

अपर्णा, पार्वती, काली, स्कंद और गणेश की माता, योगिनी, भुवनेश्वरी, सर्वमंगला नाम से जाना जाता है। साल में दो बार पड़ने वाले नवरात्रों में इस प्रसिद्ध

सिद्धपीठ में भक्तों की भीड़ जमा होती है और बड़ी ही श्रद्धा आस्था के साथ लोग मां के इस मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में

सच्चे मन से लगायी गयी हर अरदास पूरी होती है।

 

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