इस श्लोक में विस्तार से बताया कि इन सर्वमंगलकारिणी, स्कंदमाता, शिवप्रिया भवानी का पूजन करने से समस्त प्रकार के इष्ट पूरे होते हैं। रुद्रयामल तंत्र में श्री सीता द्वारा प्रतिदिन छोटी देवकाली मंदिर में पूजन का उल्लेख हैं।स्कंदपुराण में ‘विदेह कुलदेवी च सर्वमंगलकारिणी श्लोक में इसका उल्लेख है।
अयोध्या में आज भी ये परंपरा विद्यमान है। मां देवकाली को उमा, कात्यायनी, गौरी, कल्याणी, दैत्यमर्दिनी, दुर्गति नाशिनी, दुर्गा, शंकर प्राणवल्लभा,
अपर्णा, पार्वती, काली, स्कंद और गणेश की माता, योगिनी, भुवनेश्वरी, सर्वमंगला नाम से जाना जाता है। साल में दो बार पड़ने वाले नवरात्रों में इस प्रसिद्ध
सिद्धपीठ में भक्तों की भीड़ जमा होती है और बड़ी ही श्रद्धा आस्था के साथ लोग मां के इस मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में
सच्चे मन से लगायी गयी हर अरदास पूरी होती है।