भगवान की मर्ज़ी:-spiritual stories in hindi

भगवान की मर्ज़ी:-spiritual stories in hindi

एक आदमी मंदिर में सेवक था. उसका काम मंदिर की साफ-सफ़ाई करना था. भक्तों और श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए दान में से थोड़ा-बहुत उसे मंदिर के पुजारी द्वारा दे दिया जाता.

इसी से उसकी गुजर-बसर चल रही थी. वह अपनी जिंदगी से बहुत परेशान और दु:खी था. मंदिर में काम करते-करते वह दिन भर अपनी ज़िंदगी को लेकर शिकायतें करता रहता.

एक दिन शिकायत करते हुये वह भगवान से बोला, “भगवान जी! आपकी ज़िंदगी कितनी आसान है. आपको बस एक जगह आराम से खड़े रहना होता है. मेरी ज़िंदगी को देखो. कितनी कठिन ज़िंदगी जी रहा हूँ मैं.

दिन भर कड़ी मेहनत करता हूँ, तब कहीं दो जून की रोटी नसीब हो पाती है. काश मेरी ज़िंदगी भी आपकी तरह होती.

उसकी बात सुनकर भगवान बोले, “तुम जैसा सोच रहे हो, वैसा नहीं है. मेरी जगह रहना बिल्कुल आसान नहीं है. मुझे बहुत सारी चीज़ें देखनी पड़ती है.

बहुत सी व्यवस्थायें करनी पड़ती है. ये हर किसी के बस की बात नहीं है.” “भगवान जी! कैसी बात कर रहे हैं आप? आपका काम आसान ही तो है. आपकी तरह तो मैं भी दिन भर खड़े रह सकता हूँ. इसमें कौन सी बड़ी बात है?

“तुम नहीं कर पाओगे. इस काम में बहुत धैर्य की आवश्यकता पड़ती है.” भगवान बोले.

“मैं ज़रूर कर पाऊँगा. आप मुझे एक दिन अपनी ज़िंदगी जीने दीजिये. आप जैसा बतायेंगे, मैं वैसा ही करूंगा.” मंदिर का सेवक ज़िद करने लगा.उसकी ज़िद के आगे भगवान मान गए और बोले, “ठीक है.

आज पूरा दिन तुम मेरी ज़िंदगी जिओ. मैं तुम्हारी ज़िंदगी जीता हूँ. लेकिन मेरी ज़िंदगी जीने के लिए तुम्हें कुछ शर्ते माननी होगी.”

“मैं हर शर्त मानने को तैयार हूँ भगवान जी.” सेवक बोला.

“ठीक है. तो ध्यान से सुनो. मंदिर में दिन भर बहुत से लोग आयेंगे और तुमसे बहुत कुछ कहेंगे. कुछ तुम्हें अच्छा बोलेंगे, तो कुछ बुरा. तुम्हें हर किसी की बात चुपचाप एक जगह मूर्ति की तरह खड़े रहकर धैर्य के साथ सुननी है और उन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देनी है.”