दिव्य शक्तियों या भगवान की या किसी पवित्र स्थानों की धार्मिक/आध्यात्मिक स्थलों के चारों ओर के मार्ग पर चलने को परिक्रमा कहते हैं।
परिक्रमा या प्रदक्षिणा दिव्य शक्तियों या भगवान की या किसी दिव्य स्थलों की धार्मिक/आध्यात्मिक स्थलों की जाती है। जिस की मान्यता सदियों पुरानी है। जिसका वर्णन हमारे वेदो में धर्म ग्रंथो में मिलता है।
परिक्रमा क्यों करनी चाहिए ?
ये हम सभी जानते है आभा (aura ) के बारे में। जब आप किसी संत या किसी ऐसे इंसान से मिलते है जिनका हर विचार एक सकरात्मक (positivity) को दर्शाता है। उसके पास खड़े होते ही आप खुद को सकरात्मक ऊर्जा से भरा महसूस करने लगते है।
उसी तरीके से मंदिर , तीर्थ स्थल , दिव्य स्थलों के अंदर और उसके चारो तरफ एक आध्यात्मिक आभा होतीं है। जिसके संपर्क पे आने से वो आपके अंदर प्रवेश करने लगती है।
जिससे आप खुद को आध्यात्मिक विचार से ऊर्जा से भरा महसूस करते है। जो आपको एक शक्ति प्रदान करती है। जीवन के हर परिस्थिति में दृढ़ता प्रदान करती है।
प्रसिद्द परिक्रमाएँ स्थान
1. वृंदावन परिक्रमा ( Vrindavan parikrama)
2. व्रजमण्डला परिक्रमा (Vraja Mandala
3. गोवर्धन परिक्रमा (Govardhan hill parikrama)
7. नर्मदा परिक्रमा (Narmada parikrama)
4. अयोध्या परिक्रमा ( Ayodhya parikrama)
5. गिरनार परिक्रमा ( Girnar parikrama )
6. कुरुक्षेत्र परिक्रमा ( Kurukshetra parikrama)
वृंदावन को प्रेम की भक्ति की भूमि कहा जाता है जहां साक्षात राधा कृष्ण दिव्य रूप से सदैव विराजमान रहते हैं इस दिव्यता से भरे वृंदावन की परिक्रमा बड़े ही सौभाग्य से करने को मिलती है।