ऋग्वेद(Rigveda)

ऋग्वेद(Rigveda)

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Description

ऋग्वेद में परिलक्षित धर्म कई देवताओं में विश्वास और आकाश और वायुमंडल से जुड़ी दिव्यता के प्रसार को प्रदर्शित करता है। इंद्र (देवताओं के प्रमुख), वरुण (लौकिक व्यवस्था के संरक्षक), अग्नि (बलि अग्नि) और सूर्य (सूर्य) जैसे देवता अधिक महत्वपूर्ण थे। rig veda pdf sanskrit and hindi,

ऋग्वेद की कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ:-

ऋषिअग्निः ऋषि
मण्डल10
सूक्त1028
अष्टक8
अध्याय64
वर्ग2024
मण्डल(210
अनुवाक85
कुल मन्त्र10552

ऋग्वेद शब्द का अर्थ:-

ऋग्वेद शब्द का अर्थ यह है कि जिससे सब पदार्थों के गुणों और स्वभाव का वर्णन किया जाय वह ‘ऋक्’ वेद अर्थात् जो यह सत्य सत्य ज्ञान का हेतु है, इन दो शब्दों से ‘ऋग्वेद’ शब्द बनता है।

ऋग्वेद में आठ अष्टक और एक एक अष्टक में आठ आठ अध्याय हैं। सब अध्याय मिलके चौसठ होते हैं। एक एक अध्याय की वर्गसंख्या कोष्ठों में पूर्व लिख दी है। और आठों अष्टक के सब वर्ग 2024 दो हजार चौबीस होते हैं। 

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सूक्त क्या होता है ?

वेदों के संहिता भाग में मंत्रों का शुद्ध रूप रहता है जो देवस्तुति एवं विभिन्न यज्ञों के समय पढ़ा जाता है। अभिलाषा प्रकट करने वाले मंत्रों तथा गीतों का संग्रह होने से संहिताओं को संग्रह कहा जाता है। इन संहिताओं में अनेक देवताओं से सम्बद्ध सूक्त प्राप्त होते हैं। सूक्त की परिभाषा करते हुए वृहद्देवताकार कहते हैं-सम्पूर्णमृषिवाक्यं तु सूक्तमित्यsभिधीयते अर्थात् मन्त्रद्रष्टा ऋषि के सम्पूर्ण वाक्य को सूक्त कहते हैँ, जिसमेँ एक अथवा अनेक मन्त्रों में देवताओं के नाम दिखलाई पड़ते हैैं।

सूक्त के चार भेद:- देवता, ऋषि, छन्द एवं अर्थ।

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ऋग्वेद का स्वरुप:-

इस वेद के ऋषि अग्निः ऋषि है। ऋग्वेद में आठ अष्टक और एक एक अष्टक में आठ आठ अध्याय हैं। सब अध्याय मिलके चौसठ होते हैं। एक एक अध्याय की वर्गसंख्या कोष्ठों में पूर्व लिख दी है। और आठों अष्टक के सब वर्ग 2024 दो हजार चौबीस होते हैं। 

  • इस में दश मण्डल हैं। एक एक मण्डल में जितने जितने सूक्त और मन्त्र है सो ऊपर कोष्ठों में लिख दिये हैं। प्रथम मण्डल में 24 चौबीस अनुवाक, और एकसौ इक्कानवे सूक्त, तथा 1976 एक हजार नौ सौ छहत्तर मन्त्र।
  • दूसरे में 4 चार अनुवाक, 43 तितालीस सूक्त, और 429 चार सौ उन्तीस मन्त्र।
  •  तीसरे में 5 पांच अनुवाक, 62 बासठ सूक्त, और 617 छः सौ सत्रह मन्त्र।
  • चौथे में 5 पांच अनुवाक 58 अठ्ठावन सूक्त, 589 पांच सौ नवासी मन्त्र।
  • पांचमें 6 छः अनुवाक 87 सतासी सूक्त, 727 सात सौ सत्ताईस पैंसठ मन्त्र। 
  • 6 छठे में छः अनुवाक, 75 पचहत्तर सूक्त, 765 सात सौ पैंसठ मन्त्र। 
  • सातमे में 6 छः अनुवाक, 104 एकसौ चार सूक्त, 841 आठ सौ इकतालीस मन्त्र। 
  • आठमे में 10 दश अनुवाक, 103 एकसौ तीन सूक्त, और 1726 एक हजार सातसौ छब्बीस मन्त्र।
  • नवमे में 7 सात अनुवाक 114 एकसौ चौदह सूक्त, 1097 और एक हजार सत्तानवे मन्त्र।
  • दशम मण्डल में 12 बारह अनुवाक, 191 एकसौ इक्कानवे सूक्त, और 1754 एक हजार सातसौ चौअन मन्त्र हैं।
  • दशों मण्डलों में 85 पचासी अनुवाक, 1028 एक हजार अठ्ठाईस सूक्त, और 10589 दश हजार पांचसौ नवासी मन्त्र हैं।

ऋग्वेद के उपलब्ध भाष्य

  •  स्वामी दयानन्द सरस्वती कृत हिन्दी भाष्य
  •  आर्यमुनि कृत हिन्दी भाष्य
  •  ब्रह्ममुनि कृत हिन्दी भाष्य
  •  शिव शंकर शर्मा कृत हिन्दी भाष्य
  •  स्वामी दयानन्द सरस्वती कृत संस्कृत भाष्य
  •  आर्यमुनि कृत संस्कृत भाष्य
  •  ब्रह्ममुनि कृत संस्कृत भाष्य
  •  शिव शंकर शर्मा कृत संस्कृत भाष्य

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ऋग्वेद (rig veda in hindi):-

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ऋग्वेद सबसे पहला वेद है(rigveda in hindi), इसमें सृष्टि के पदार्थो का ज्ञान है । इसमें ईश्वर,जीव व् प्रकृति के गुण, जीवन के आदर्श सिद्धांत और व्यवहारिक ज्ञान वर्णित है ।
       ➤इस वेद में 1028 ऋचाएँ (मंत्र) और 10 मंडल (अध्याय) हैं । ऋग्वेद की ऋचाओं में देवताओं की प्रार्थना, स्तुतियाँ और देवलोक में उनकी  स्थिति का वर्णन है ।

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  1. प्रथम अध्याय(मंडल) (Chapter-1)
  2. दूसरा अध्याय(मंडल) (Chapter-2)
  3. तीसरा अध्याय(मंडल) (Chapter-3)
  4. चौथा अध्याय(मंडल) (Chapter-4)
  5. पांचवा अध्याय(मंडल) (Chapter-5)
  6. छठा अध्याय(मंडल) (Chapter-6)
  7. सातवाँ अध्याय(मंडल) (Chapter-7)
  8. आठवाँ अध्याय(मंडल) (Chapter-8)
  9. नौवें अध्याय(मंडल) (Chapter-9)
  10. दसवाँ अध्याय(मंडल) (Chapter-10)

————धन्यवाद———–

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