व्रज की पूरी भूमि श्री कृष्ण की लीला और चरणों से पावन पवित्र है। इसी भूमि एक स्थान ऐसा है माना जाता है कि संत रसखान ने यहां तपस्या की थी। यहां इनकी समाधि भी बनी हुई है। रमण बिहारी जी(raman reti) के प्राचीन मंदिर के जर्जर होने के कारण नए मंदिर में रमण बिहारी जी को विराजमान किया गया है। मंदिर राधा कृष्ण की अष्टधातु की मूर्ति है। भक्तगण इनके दर्शन से पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं।
गोकुल के रमण रेती मंदिर परिसर में हर तरफ रेत ही रेत है। यहां जो भी कृष्ण भक्त आता है, बिना रेत में लोटे नहीं जाता। फागुन मास में यहां भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने बाल रूप में इस रेत पर लीलाएं की थीं। लोग मानते हैं कि इस रेत से बीमारियां दूर हो जाती हैं।
यहां आने वाले दर्शनार्थी रमण रेती की मिट्टी से तिलक करके श्री कृष्ण के चरण रज को माथे से लगाने की अनुभूति करते हैं।
गर्मी में ,
प्रातः काल : 05:00 प्रातः से 12:00 दोपहर
संध्याकाल : 04:00 दोपहर से 09:00 रात्रि
शीतकाल में
प्रातः काल : 05:30 प्रातः से 12:00 दोपहर
दोपहर : 04:00 दोपहर से 08:30 रात्रि